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अदालत या पीड़ित परिवार करेंगे डेविस की तकदीर का फैसला: पाक

पाकिस्तान में गोलीबारी के मामले में गिरफ्तार अमेरिकी अधिकारी रेमंड डेविस को लेकर वाशिंगटन और इस्लामाबाद में चल रही राजनयिक तनातनी के बीच पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि डेविस के भाग्य का फैसला अदालत अथवा पीड़ित के परिजन ही कर सकते हैं.

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आसिफ अली जरदारी
आसिफ अली जरदारी

पाकिस्तान में गोलीबारी के मामले में गिरफ्तार अमेरिकी अधिकारी रेमंड डेविस को लेकर वाशिंगटन और इस्लामाबाद में चल रही राजनयिक तनातनी के बीच पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि डेविस के भाग्य का फैसला अदालत अथवा पीड़ित के परिजन ही कर सकते हैं.

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राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ ने अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध मामलों की समिति के अध्यक्ष जान कैरी से कहा कि डेविस का मामला पाकिस्तान की अदालत में विचाराधीन है. ओबामा प्रशासन ने कैरी को राजनयिक विवाद को शांत करने के मकसद से पाकिस्तान भेजा है.

जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसकी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान किया जायेगा क्योंकि यह एक जटिल मुद्दा है जिसके विभिन्न आयाम हैं.

गिलानी ने कहा कि सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि वह डेविस के मामले में अदालतों या मृतकों के परिजनों के किसी भी फैसले को स्वीकार करेगी.

उन्होंने कहा, ‘इस मामले को सुलझाया जा सकता है अगर (मृतकों के) संबंधी राजनयिक को माफ कर दें या अदालत इस मामले में कोई फैसला करे. हमारी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है.’ गिलानी ने कहा, ‘डेविस का मामला अदालत में है जो राजनयिक छूट संबंधी सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद इस संबंध में कोई फैसला करेगी.’ इस मामले पर पहली बार हस्तक्षेप करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि वियना घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पाकिस्तान की जेल में बंद अमेरिकी कूटनीतिक डेविस को रिहा कर देना चाहिए.

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उन्होंने कहा, ‘कूटनीतिक छूट के सिद्धांत का सीधा मतलब है कि पाकिस्तान को 37 वर्षीय कूटनीतिज्ञ को रिहा कर देना चाहिए.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘पाकिस्तान में हमारे राजनयिक डेविस के संदर्भ में हमारा सीधा सिद्धांत है कि कूटनीतिक संबंधों में वियना संधि पर हस्ताक्षर करने वाले दुनिया के हर देश ने अतीत में इसे बरकरार रखा है और भविष्य में बरकरार रखेंगे.’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अगर किसी अन्य देश में हमारे कूटनीतिज्ञ हैं, तो वह उस देश के स्थानीय अभियोजन के दायरे में नहीं हैं. हम इसका और यहां मौजूद कूटनीतिकों का सम्मान करते हैं. हम, संधि के एक हस्ताक्षरकर्ता पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वह संधि के अनुसार, डेविस को एक कूटनीतिक समझे.’

{mospagebreak} उधर, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने डेविस को किसी भी तरह की राजनयिक छूट के बारे में मीडिया में आयी खबरों से इंकार किया. डेविस को पिछले माह लाहौर में गोली मारकर दो लोगों की हत्या के आरोप में जेल में रखा गया है.

मंत्रालय द्वारा जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया है, ‘विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया में आयी उन खबरों से इंकार किया है जिनमें कहा गया है कि रेमंड एलन डेविस को राजनयिक छूट दी गयी है. इन खबरों का कोई आधार नहीं है.’ इस्लामाबाद में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच डेविस के प्रत्यर्पण को लेकर कोई सहमति बन गई है.

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अमेरिकी सीनेट सीनेट की विदेश संबंधों की समिति के अध्यक्ष जान कैरी ने इस्लामाबाद का दौरा कर कहा कि अमेरिका का न्याय विभाग इस गोलीबारी की घटना की आपराधिक जांच करेगा. कैरी ने गिलानी से मुलाकात कर इस घटना के लिए अफसोस जाहिर किया.

अमेरिकी अधिकारी से जुड़े मामले पर पाकिस्तान में जनाक्रोश को देखते हुए अमेरिकी सीनेट में विदेश मामलों से जुड़ी समिति के अध्यक्ष जान कैरी ने कहा, ‘हमारा न्याय विभाग इस मामले में राजनयिक छूट के बावजूद आपराधिक जांच करेगा. हम समझते हैं कि छूट लागू होती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारे कानून में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अधिकार नहीं.’ पाकिस्तानी अखबारों में छपी खबरों में आज कहा गया था कि सरकार अदालत में स्वीकार कर सकती है कि वियना संधि के तहत डेविस को राजनयिक छूट की पात्रता दी जा सकती है. लाहौर उच्च न्यायालय डेविस मामले पर कल सुनवाई करेगा.

इस मामले पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि डेविस को राजनयिक छूट नहीं मिल सकती जैसा कि अमेरिका चाहता है.

कुरैशी ने कहा कि अगर लाहौर उच्च न्यायालय उन्हें बुलाता है तो वह गवाही के लिये तैयार हैं. अदालत में उनके मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी को विदेश कार्यालय में एक ब्रीफिंग में उन्हें बताया गया कि डेविड को छूट नहीं दी जा सकती.

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कुरैशी ने कहा कि उनके इस दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री गिलानी सहमत हैं कि डेविस का मुद्दा विचाराधीन है और कोई अदालत ही उस पर फैसला करेगी.

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