दारूल उलूम देवबंद ने कहा है कि संस्थान द्वारा जारी किए गए फतवे केवल मार्गदर्शन के लिए हैं और इन्हें जबरदस्ती लागू नहीं किया जाना चाहिए.
दारूल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के प्रभारी मुफ्ती हबीबुर रहमान ने कल शाम संवाददाताओं से कहा कि फतवा कोई आदेश नहीं बल्कि मार्गदर्शी सिद्धांत होते हैं और कोई भी व्यक्ति उनका पालन कर सकता है या उन्हें नजरअंदाज कर सकता है. उन्होंने कहा कि फतवों को जबरदस्ती लागू नहीं किया जा सकता.
पिछले दिनों मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करने के बाद गहरी आलोचना का सामना करना पड़ा और उन्हें मोहतमिम के पद से हटा दिया गया. इस मामले पर रहमान ने कहा कि यह लोकतांत्रिक तरीके से किया गया.
उन्होंने कहा कि वस्तानवी को मतदान के जरिये लोकतांत्रिक तरीके से हटाया गया. यह कदम तब उठाया गया जब वस्तानवी ने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया.
मौलाना वस्तानवी को 24 जुलाई को दारूल उलूम देवबंद की मजलिस ए शूरा ने मोहतमिम के पद से हटा दिया था. उन्हें उनके पूर्ववर्ती मौलाना मरगूबुर रहमान के निधन के बाद दस जनवरी को मोहतमिम नियुक्त किया गया था.