लोकपाल बिल का ड्राफ्ट शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया जा रहा है. लोकपाल पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने बुधवार को लोकपाल के मसौदे को आखिरी रूप दिया.
हालांकि, लोकपाल के लिए आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे सरकारी मसौदे से खुश नहीं हैं और अनशन की धमकी दे चुके हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस सख्त लोकपाल कानून के लिए अन्ना हजारे को दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन करना पड़ा, उसे संसद की स्थायी समिति अपनी सिफारिशों के साथ संसद को सौंप देगी. स्थायी कमिटी की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी जाएगी.
हालांकि, अन्ना पहले ही शक जता चुके हैं कि सरकार ने जो कानून तैयार किया है वो कमजोर है. हालांकि अन्ना की चिंताओं से सरकार इत्तफाक नहीं रखती.
दरअसल, अन्ना इस बात से खफा हैं कि सरकार ने उनकी कई मांगों को दरकिनार कर दिया है. इसी वजह से टीम अन्ना ने ड्राफ्ट में 34 आपत्तियां भी लगाई हैं.
इनमें सबसे अहम है, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में न रखना. सरकारी मसौदे में इसे संसद के विवेक पर छोड़ दिया गया है. ग्रुप-सी और डी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में न रखने पर भी अन्ना को आपत्ति है. इस पर खुद स्थायी समिति में तीन कांग्रेसी सांसदों ने भी अपत्ति जताई थी.
अन्ना तो कह ही चुके हैं कि लोकपाल बिल उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, तो आंदोलन तय है. बहरहाल, लोकपाल बिल को कानून बनने के लिए अभी लंबी प्रकिया पूरी करनी है.
राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद इस रिपोर्ट को फिर से सरकार के पास भेज दिया जाएगा, ताकि वो स्थायी समिति की सिफारिशों पर गौर सके. यह सरकार के ऊपर है कि वह इस सिफारिशों को माने या नहीं, लेकिन लोकपाल के मामले में यह लगभग तय है कि सरकार स्याय़ी समिति की कुछ सिफाऱिशों को शामिल करते हुए बिल का नया मसौदा तैयार कर संशोधित बिल फिर कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाएगी और कैबिनेट की मंजूर मिलने के बाद उसे दोबारा संसद में लाया जाएगा.