वित्त मंत्रालय ने कहा कि वह हाउसिंग फिनांस रैकेट की विभागीय जांच कराने की संभावना तलाश रहा है. इस रैकेट के भंडाफोड़ के बाद एलआईसी हाउसिंग एवं सरकारी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर इसका (विभागीय जांच) प्रावधान है, तो हम जांच कराएंगे. अन्यथा बैंक व्यक्तिगत स्तर पर जांच कर करेंगे.’ बैंकरों की गिरफ्तारी के प्रकरण को ‘घूसखोरी’ की घटना बताते हुए अधिकारी ने कहा कि इसका बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘हमने व्यक्तिगत तौर पर बैंकों से संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में पूछताछ की और बैंकों ने कहा कि इस प्रकरण के चलते उनकी गैर-निष्पादित आस्तियां नहीं बढ़ेंगी.’ उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने कथित आवास ऋण घोटाले से जुडे होने पर एलआईसी हाउसिंग फिनांस के सीईओ रामचन्द्रन नायर और कुछ सरकारी बैंकों के तीन शीर्ष अधिकारियों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया.
गिरफ्तार किए गए लोगों में नायर के अलावा एलआईसी के सचिव (निवेश) नरेश के. चोपड़ा, बैंक आफ इंडिया के महाप्रबंधक आर.एन. तायल, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के निदेशक (चार्टर्ड एकाउंटेंट) महिन्दर सिंह जौहर और पीएनबी (दिल्ली) के उप महाप्रबंधक वेंकोबा गुज्जल शामिल हैं.
सीबीआई ने कहा कि मुंबई स्थित फर्म मनी मैटर्स लिमिटेड के सीएमडी राजेश शर्मा एवं कंपनी के दो कर्मचारियों सुरेश गट्टानी एवं संजय शर्मा भी गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं.
सूत्रों ने कहा कि इन अधिकारियों ने कथित तौर पर साठगांठ कर बड़े कारपोरेट लोन के मामले में जरुरी नियमों को नजरअंदाज करते हुए लोन को मंजूरी दी गई.