राजस्व घटने और खर्च में वृद्धि के कारण बढ़ते वित्तीय घाटे के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को घाटे में कमी लाने की जरूरत बताई और कहा कि इसे 'प्रबंधनीय सीमा' के अंदर होना चाहिए.
कोलकाता में आयकर विभाग के नए प्रशासनिक भवन के उद्घाटन अवसर पर मुखर्जी ने कहा, 'हम अपने वित्तीय घाटे को एक निश्चित सीमा से आगे नहीं जाने दे सकते हैं. हमें अपनी प्राप्ति और भुगतान को व्यवस्थित करने की जरूरत है, ताकि हमारा वित्तीय घाटा, तथा कर्ज प्रबंधनीय सीमाओं के भीतर हों.'
इस बात की चिंता जताई जा रही है कि मौजूदा कारोबारी साल में केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.6 फीसदी बजट अनुमान को पार कर सकता है.
रियायत में इजाफा और विनिवेश के मामले में धीमी प्रगति के कारण सरकार की वित्तीय समस्या बढ़ गई है. चालू वित्त वर्ष के दौरान रियायत पर अतिरिक्त एक लाख करोड़ रुपये राशि खर्च हो सकती है. साथ ही 40,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल होने की सम्भावना काफी नहीं है.
सरकार राजस्व और खर्च के अंतर को पाटने के लिए 90,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की घोषणा कर चुकी है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को यूरोपीय कर्ज संकट से सबक लेने की जरूरत है.
मुखर्जी ने कहा, 'हमें यूरो जोन संकट से सबक लेने की जरूरत है. वहां कुछ देशों का वित्तीय घाटा जीडीपी के आकार से अधिक हो गया है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो कुछ हो रहा है, उससे हम स्वयं को अलग नहीं कर सकते, लेकिन वित्तीय घाटे का बुद्धिमानीपूर्वक प्रबंधन कर सकते हैं.'