बिहार की लालू प्रसाद यादव सरकार से जुड़े चारा घोटाले के एक मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने दस अधिकारियों समेत 26 आरोपियों को कारावास और जुर्माने की सजा सुनायी. इसके बाद छह आरोपियों की जमानत रद्द कर जेल भेज दिया गया.
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश गीतेन्द्र कुमार सिंह ने चारा घोटाले के झारखंड के साहेबगंज कोषागार से फर्जी तरीके से 1996 में निकाले गये 67 लाख 49 हजार 989 रुपये के मामले में दस अधिकारियों समेत 26 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें पांच वर्ष से लेकर एक वर्ष तक के कठोर कारावास तथा छह लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा सुनायी.
सजा सुनाये जाने के तत्काल बाद अदालत के आदेश पर तीन वर्ष से अधिक की कैद की सजा पाने वाले छह अभियुक्तों की जमानत रद्द कर उन्हें जेल भेज दिया गया. अदालत में हाजिर न होने वाले एक आरोपी चारा आपूर्तिकर्ता फूल सिंह के खिलाफ अदालत ने वारंट जारी किया.
इस मामले में सीबीआई ने कुल 36 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किये थे, लेकिन मुकदमें की कार्रवाई के दौरान ही छह आरोपियों की मौत हो गयी, जबकि तीन सरकारी गवाह बन गये और शेष एक ने अपनी गलती स्वीकार कर ली थी, जिसे पहले ही सजा दी जा चुकी है.
साहिबगंज के कोषागार से 1991 से 1996 के बीच अवैध ढंग से फर्जी कागजात के आधार पर निकाली गयी 67, 49, 989 रुपये के चारा घोटाले के मामले में सीबीआई ने 12 अप्रैल 1996 को प्राथमिकी दर्ज की और आरोपियों के खिलाफ 19 जनवरी 2004 को आरोप तय किये थे. सीबीआई अदालत ने पटना में पशुपालन विभाग में तैनात बजट एवं एकाउंट अधिकारी ब्रजभूषण प्रसाद को मामले में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं तहत सर्वाधिक पांच वर्ष की कैद और छह लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. उन्हें जमानत रद्द कर जेल भेज दिया.
इस मामले में साहेबगंज के तत्कालीन टूअरिंग पशु अधिकारी (टीवीओ) डा0 कृष्ण मुरारी साह को चार वर्ष की कठोर जेल और डेढ लाख रूपये के अर्थदंड की सजा सुनायी गयी और उन्हें आज जेल भेज दिया गया.
इसी प्रकार साहेबगंज के जिला पशुपालन अधिकारी डा0 एरिक करकेट्टा को चार वर्ष के कठोर कारावास और पांच लाख रूपये जुर्माने की सजा सुनायी और जेल भेज दिया.
इसके अलावा साहेबगंज के टीवी ओ (मोबाइल) बिमलकांत दास का चार वर्ष के कठोर कारावास और छह लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाकर जेल भेज दिया.
साहेबगंज में जिला पशुपालन विभाग के एकाउंट अधिकारी सुदर्शन राम को चार वर्ष के कठोर कारावास और ढाई लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी, जबकि पटना के मेसर्स बिहार सर्जिको मेडिको एजेंसी के मालिक त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को चार वर्ष के कठोर कारावास और पांच लाख रूपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी और दोनों को ही जमानत रद्द कर जेल भेज दिया. इस प्रकार तीन वर्ष से अधिक की जेल की सजा पाने वाले कुल छह अभियुक्तों को जमानत रद्द कर अदालत ने जेल भेज दिया.
विशेष अदालत ने इनके अलावा चारा आपूर्तिकर्ता सुशील कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा और सरस्वती चंद्रा को दो-दो वर्ष की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी, जबकि महेन्द्र प्रसाद को तीन वर्ष संजय अग्रवाल को दो वर्ष की कैद की सजा तथा जुर्माने की सजा सुनायी. चारा आपूर्तिकर्ता राम अवतार शर्मा गोपीनाथ दास फूल सिंह अरूण कुमार सिंह सुरेन्द्र नाथ सिन्हा, बसंत कुमार सिन्हा, डा0 अजीत कुमार वर्मा, चंचला सिन्हा रवींद्र प्रसाद और दयानंद प्रसाद को भी तीन से एक वर्ष तक के कठोर कारावास और चार लाख से दस हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा अदालत ने सुनायी.
विशेष न्यायाधीश ने साहेबगंज के कोषागार अधिकारी विजय कुमार को तीन वर्ष की कैद और पचपन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. कोषागार अधिकारी एस एन झा को दो वर्ष कैद और पचपन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
साहेबगंज के एकाउंट और कोषागारकर्मी आलोक कुमार गुप्ता को तीन वर्ष कैद और पचपन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी. साहेबगंज के सहायक कोषागार अधिकारी अशोक कुमार घोष को तीन वर्ष कैद और पचपन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी.
अदालत ने साहेबगंज के सहायक कोशागार कर्मी शैलेन्द्र कुमार मिश्रा को भी फर्जीवाडे और भ्रष्टाचार को दोषी पाते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास और पचपन हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी.
चारा घोटाले के एक प्रमुख मामले में विशेष अदालत में 13 फरवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की भी पेशी है.