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खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 10.63 प्रतिशत पर

खाद्य मुद्रास्फीति 5 नवंबर को समाप्त सप्ताह में घटकर 10.63 प्रतिशत पर आ गई है. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसे अच्छा संकेत बताते हुए कहा कि यदि यही रुख जारी रहा, तो आम आदमी को कुछ राहत मिल सकती है.

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खाद्य मुद्रास्फीति 5 नवंबर को समाप्त सप्ताह में घटकर 10.63 प्रतिशत पर आ गई है. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसे अच्छा संकेत बताते हुए कहा कि यदि यही रुख जारी रहा, तो आम आदमी को कुछ राहत मिल सकती है.

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थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 1.18 प्रतिशत अंक घट गई है. इससे पिछले सप्ताह यह 11.81 प्रतिशत पर थी. पिछले साल इसी अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति 11.41 फीसदी पर थी. मुखर्जी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘यदि खाद्य मुद्रास्फीति का यही रुख जारी रहता है, तो यह अच्छा संकेत है. खासकर खाने पीने की वस्तुओं के मोर्चे पर इस तरह का रुख जारी रहने पर कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.’

खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट से हालांकि आम आदमी को राहत नहीं मिली है. प्याज और गेहूं को छोड़कर अन्य सभी जिंसों के दाम ऊंचाई पर बने हुए हैं. गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर प्याज 22.89 प्रतिशत सस्ता हुआ, वहीं गेहूं की कीमतों में 3.63 प्रतिशत की कमी आई. समीक्षाधीन सप्ताह में अन्य सभी खाद्य वस्तुओं के दाम ऊंचे रहे.

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जहां सब्जियों के दाम 27.26 प्रतिशत अधिक थे, वहीं दालें 14.44 प्रतिशत, दूध 10.74 प्रतिशत, अंडा, मांस और मछली 11.73 फीसदी महंगे थे. सालाना आधार पर फलों के दाम भी 5.99 प्रतिशत अधिक थे. मोटा अनाज 3.53 फीसदी ऊंचा था. इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘आगामी सप्ताह में मूल्यों में मामूली गिरावट देखने को मिलेगी. नवंबर, 2011 में खाद्य मुद्रास्फीति के घटकर एक अंक में आने की संभावना है.

त्योहारी सीजन के बाद आमतौर पर मांग घटती है. दिसंबर में इसमें अच्छी कमी देखने को मिलेगी.’ प्राथमिक उत्पादों की श्रेणी की मुद्रास्फीति 5 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 10.39 प्रतिशत पर थी, जो इससे पिछले सप्ताह 11.43 फीसदी पर थी. थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक उत्पादों का भारांश 20 प्रतिशत का है. गैर खाद्य उत्पादों की महंगाई समीक्षाधीन सप्ताह में 5.33 प्रतिशत पर थी.

29 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में यह 6.41 प्रतिशत पर थी. इसमें फाइबर, तिलहन और खनिज आते हैं. ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 15.49 प्रतिशत पर थी. इससे पिछले सप्ताह यह 14.50 फीसदी के स्तर पर थी.

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में निरंतर तेजी से सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक पर इससे निपटने के उपाय करने का दबाव बढ़ेगा. वित्तीय सेवा कंपनी कासा के निदेशक सिद्धार्थ शंकर ने कहा, ‘आगे चलकर महंगाई के आंकड़े नीचे आएंगे. यह गिरावट अच्छी है, पर दीर्घावधि में हमें सही आधार स्थापित करने की जरूरत होगी.’

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