दालों के दाम घटने से 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 20 माह के निचले स्तर 7.33 प्रतिशत पर आ गयी. लेकिन इसके बावजूद परिवारों के बजट पर आलू, प्याज, फलों और दूध के ऊंचे दामों की मार कम नहीं हुई है.
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पूर्व सप्ताह में 7.58 प्रतिशत थी. गिरावट का कारण पिछले साल इसी अवधि के दौरान मुद्रास्फीति का ऊंचा होना (उच्च आधार प्रभाव) भी है. उस समय खाद्य मुद्रास्फीति 18.56 प्रतिशत थी.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘ये साप्ताहिक आंकड़े आधार प्रभाव की वजह से ऊपर नीचे होते हैं. इनसे किसी निश्चित रुख का पता नहीं चलता. मुद्रास्फीतिक दबाव बना हुआ है.’ जून में कुल मुद्रास्फीति 9.44 प्रतिशत के स्तर पर थी. दिसंबर, 2011 से यह 9 प्रतिशत से ऊपर चल रही है. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान दालों की कीमत एक साल पहले की तुलना में 8 प्रतिशत नीचे रही, पर अन्य जिंसों में महंगाई बनी हुई है.
आंकड़ों के अनुसार आलोच्य सप्ताह के दौरान सालाना आधार पर प्याज 22.66 प्रतिशत और फल 13.90 महंगा था. वहीं आलू 10.55 प्रतिशत, दूध 9.96 प्रतिशत और सब्जियां सालाना आधार पर 7.59 प्रतिशत महंगी थीं. सालाना आधार पर कुल मिलाकर सब्जियों के दाम 7.59 प्रतिशत बढ़े हैं. खाद्य मुद्रास्फीति के लिये नवंबर 2009 से अलग से आंकड़ा जारी किया जा रहा है. उसके बाद से खाद्य मुद्रास्फीति का न्यूनतम आंकड़ा है.
प्राथमिक वस्तुओं पर दबाव बना हुआ है. 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में इनकी मुद्रास्फीति 10.49 प्रतिशत थी, जो इससे पिछले सप्ताह 11.13 फीसद थी. इसी तरह गैर खाद्य वस्तुओं फाइबर, तिलहन और धातुओं की महंगाई दर 16.05 प्रतिशत थी, जो इससे पिछले सप्ताह 15.50 फीसदी पर थी. इस बीच, ईंधन और बिजली सूचकांक 12.12 प्रतिशत पर था.
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, ‘आधार प्रभाव की भूमिका है. 2010 में खाद्य मुद्रास्फीति ज्यादातर समय दो अंक में रही. हालांकि, आगामी कुछ माह में खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट देखने को मिलेगी.’ हालांकि, वित्त मंत्री को खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट कोई बहुत संतोषजनक बात नहीं लग रही है, पर इससे सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को जरूर कुछ राहत मिलेगी, जो महंगाई से निपटने के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में अपनी मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुल मुद्रास्फीति के अनुमान को छह से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है. खाद्य मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों पर इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह पिछले साल का आधार प्रभाव है. आगामी हफ्तों में यह रुख उलट सकता है.’ नायर ने सब्जियों, फलों और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने पर भी चिंता जताई.
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं m.aajtak.in पर.