सब्जियों और मोटे अनाजों की कीमतों में नरमी के बाद 19 फरवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति एक प्रतिशत से अधिक घटकर 10.39 प्रतिशत रह गई.
इस बीच सरकार के एक उच्च अधिकारी ने व्यापारियों की आपसी सांठगांठ से दाम बढ़ाने पर अंकुश लगाने के कदम उठाए जाने की वकालत की है. आलू, प्याज और दालों की कीमतों में गिरावट के रुख के चलते खाद्य मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई.
हालांकि, इस दौरान फल, दूध और सब्जियों की कीमतों में तेजी बनी रही. इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति 11.49 प्रतिशत पर थी, जबकि बीते साल 19 फरवरी को समाप्त सप्ताह में यह 21.62 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद इसके ताजा आंकड़ों को स्वीकार्य स्तर से ऊंचा बताया. {mospagebreak}
उन्होंने खाने पीने की आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से रोकने के वास्ते व्यापारियों की आपसी सांठगांठ को तोड़ने पर जोर दिया. इसके लिये उन्होंने प्रतिस्पर्धा कानून के प्रावधानों का उपयोग करने की आवश्यकता बताई. उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग पिछले साल दिसंबर में प्याज की कीमतों में अचानक आई तेजी में व्यापारियों की गुटबाजी की भूमिका की पहले ही जांच कर रहा है.
बसु ने कहा कि मुद्रास्फीति को एक झटके में नीचे लाने के लिए ब्याज दर ऊंची करने का जोखिम उठाना उचित नहीं होगा. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में आलू के दाम में 12.66 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि दालों की कीमतों में 5.02 प्रतिशत, प्याज में 3.64 प्रतिशत और गेहूं की कीमत में 2.06 प्रतिशत की नरमी आई. {mospagebreak}
बीते साल की इसी अवधि के मुकाबले समीक्षाधीन अवधि में हालांकि, फलों के दाम 16.34 प्रतिशत, अंडा, मीट और मछली के दाम 14.5 प्रतिशत, सब्जियों के दाम 14.29 प्रतिशत और दूध के दाम में 11.07 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
आईसीआईसीआई की प्रबंध निदेशक चन्दा कोचर ने कहा, ‘केवल मुद्रास्फीति ही देश के सामने चुनौती नहीं है, बल्कि हमें कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखनी होगी. क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी ने कहा, ‘यह अनुमानित था. यह मुद्रास्फीति में नरमी का संकेत है. हम इसे जल्द ही एकल अंक में आते देख सकते हैं.’