सब्जी, फल, दूध और दाल, अंडे, मांस, मछली जैसे प्रोटीन आधारित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण 15 अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 11.43 फीसदी पर पहुंच गई. थोकमूल्य सूचकांक पर आधारति खाद्य मुद्रास्फीति पिछले सप्ताह 10.60 फीसदी थी. पिछले साल की समान अवधि में खाद्य कीमतों की कीमतों की महंगाई दर 14.20 फीसदी थी.
सरकार द्वारा 27 अक्टूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक सब्जियों के दाम में सालाना स्तर पर 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसी तरह फल की कीमत 11.96 फीसदी, दूध की 10.85 फीसदी और अंडा, मांस एवं मछली की कीमत 12.82 फीसदी बढ़ी.
हालांकि उक्त सप्ताह में प्याज 18.93 फीसदी सस्ता हुआ और गेहूं की कीमत 0.95 फीसदी और आलू की 0.45 फीसदी कम हुई. साप्ताहिक स्तर पर 15 अक्तूबर को समाप्त हफ्ते में प्राथमिक उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति 11.75 फीसदी रही जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 11.18 फीसदी थी.
थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक उत्पादों का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है. समीक्षाधीन अवधि में फाईबर, तिलहन और खनिज समेत गैर खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 7.87 फीसदी रही जबकि आठ अक्तूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 8.51 फीसदी रही.
ईंधन और बिजली क्षेत्र की मुद्रास्फीति 15 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 14.70 फीसदी रही जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 15.17 फीसदी थी. खाद्य कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से सरकार और रिजर्व बैंक पर इस स्थिति से तेजी से निपटने का दबाव बढ़ सकता है. सकल मुद्रास्फीति दिसंबर 2010 से नौ फीसदी से ऊपर बनी हुई है. इस साल सितंबर में यह 9.72 फीसदी पर थी.
आरबीआई मांग पर लगाम लगाने और मुद्रास्फीति कम करने के लिए मार्च 2010 से 13 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है. इस सप्ताह मौद्रिक नीति की हुई दूसरी तिमाही समीक्षा में सर्वोच्च बैंक ने कहा कि मार्च 2012 तक सात फीसदी पर आने से पहले मुद्रास्फीति मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण दिसंबर तक उच्च स्तर पर बनी रहेगी.