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खाद्य मुद्रास्फीति दो माह बाद 9 प्रतिशत के पार

फलों और प्याज के दाम बढ़ने से 28 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर दो माह के उच्च स्तर 9.01 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे पिछले सप्ताह यह 8.06 प्रतिशत पर थी.

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फलों और प्याज के दाम बढ़ने से 28 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर दो माह के उच्च स्तर 9.01 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे पिछले सप्ताह यह 8.06 प्रतिशत पर थी.

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प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने उम्मीद जताई है कि यदि मानसून बेहतर रहता है, तो खाद्य वस्तुओं की कीमतें नीचे आएंगी. मई, 2010 के आखिरी सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 20.62 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी. इससे पहले 26 मार्च को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 9.18 फीसदी पर थी.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार फलों की कीमतें इस समय एक साल पहले की तुलना में 30.78 प्रतिशत ऊपर चल रही हैं. इसी तरह प्याज के भाव पिछले वर्ष के इसी समय की तुलना में 14 प्रतिशत ऊपर रहे. आलोच्य सप्ताह में सालाना आधार पर दूध की कीमत 8.49 प्रतिशत, अंडा, मांस और मछली 6.99 प्रतिशत और अनाज 5.77 प्रतिशत ऊपर थे.

हालांकि इस दौरान दाल की कीमतें एक साल पहले की तुलना में 9.49 प्रतिशत कम रहीं, तथा आलू और सब्जियों के दाम भी नीचे रहे. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा, ‘यदि मानसून की स्थिति बेहतर रहती है, तो अगले दो-तीन माह में खाद्य वस्तुओं के दाम नीचे आ जाएंगे.’

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अन्य विशेषज्ञों ने भी कुछ इसी तरह की राय जाहिर की है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड के अनुसंधान प्रमुख समीरन चक्रवर्ती ने कहा, ‘मानसून की प्रगति खाद्य वस्तुओं के दाम तय करने में महत्वपूर्ण कारक होगी. यदि मानसून सामान्य रहता है, तो आगामी महीनों में खाद्य वस्तुओं के दाम नीचे आएंगे.’

केरल में मानसून पिछले सप्ताह पहुंचा है और अब यह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की ओर अग्रसर है. मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले कुछ दिन में मानसून गति पकड़ेगा. आलोच्य सप्ताह में कुल मिलाकर प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति 11.52 प्रतिशत रही, जो एक सप्ताह पूर्व 10.87 प्रतिशत थी.

थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक वस्तुओं का भारांश 20 प्रतिशत है. इसी दौरान प्राथमिक गैर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 21.31 प्रतिशत से घटकर 20.97 प्रतिशत पर आ गयी. इससे सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को नीतिगत निर्णयों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. डेलायट, हास्किंस एंड सेल्स के निदेशक अनीस चक्रवर्ती ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर से ऊपर है.

इसके अलावा जिंसों खासकर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से असर पड़ेगा.’ विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून पर खाद्य मुद्रास्फीति निर्भर करेगी, पर साथ ही उनका कहना है कि वैश्विक स्तर पर जिंसों के ऊंचे दामों से कुल मुद्रास्फीति पर प्रभाव दिखाई देगा, जो जनवरी, 2010 से आठ प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.

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