उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने कहा है कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट आने लगी है लेकिन प्रमुख अनाज और वाणिज्यिक फसलों की कमी से खाद्य वस्तुओं की कीमतें चढ़ सकती हैं.
उद्योग मंडल ने बयान में कहा, ‘अनाज मामले में दाल तथा वाणिज्यिक फसलों की श्रेणी में तिलहन के मामले में उत्पादन और खपत में सतत अंतर देखा जा रहा है.’ हाल के वर्षों में आयात पर निर्भरता जहां खाद्य तेलों के मामले में बढ़कर 35 फीसद हो गयी है वहीं दालों के मामले में यह 15 फीसद है.
पीएचडी चैंबर ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में जहां चावल में उत्पादन और खपत में अंतर 28 लाख टन था, वहीं दाल के मामले में यह अंतर 23 लाख टन है. इसका कारण मुख्य रूप से ऊंची मांग का होना है.
इसी प्रकार, 2009-10 के दौरान चीनी के मामले में यह 75 लाख टन तथा तिलहन के मामले में 60 लाख टन था.
चार दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति 9.46 फीसद रही जो 2010-11 की पहली तिमाही में औसतन 15.7 फीसद तथा दूसरी तिमाही में 12.3 फीसद थी. बाद में अक्तूबर में घटकर 10 फीसद तथा नवंबर में 6.1 फीसद थी.
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष अशोक कजारिया ने कहा, ‘कृषि, जल प्रबंधन तथा सिंचाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमी का देश के कृषि परिदृश्य पर प्रभाव पड़ा है.’ उन्होंने कहा कि सरकार को सड़क जैसे ऐसे क्षेत्रों में खर्च बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए जिससे ग्रामीण बाजार तक पहुंच आसान हो सके.