अच्छी सेहत के लिए शरीर को प्रोटीन, विटामिन, काबरेहाइड्रेट से लेकर तमाम तरह के पोषक पदाथरें की जरूरत होती है, लेकिन सवाल उठता है कि यह सब मिले कहां से. जवाब है- पनीर. यानी चीज़, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाईड्रेट, वसा सब कुछ होता है और वह भी भरपूर.
आहार विशेषज्ञ शीला सहरावत कहती हैं ‘सेहत की बात आने पर पौष्टिक आहार के रूप में दूध और इससे बने व्यंजनों का नाम सबसे पहले आता है. दूध से मिलने वाले पदार्थों में मलाई, रबड़ी, दही, खोया, मक्खन जैसे परंपरागत भारतीय उत्पादों के साथ ही विदेशों से भारत आए ‘चीज़’ की लोकप्रियता में भी खासा इजाफा हो रहा है. इसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाईड्रेट, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस आदि की भरपूर मात्रा होती है.’’ पनीर के इस पौष्टिक गुण की वजह से ही कुछ पश्चिमी देशों में 20 जनवरी को ‘चीज़ डे’ मनाया जाता है. भारत में ऐसे किसी दिन का चलन नहीं है.
सहरावत कहती हैं कि सेहत के मामले में चीज़ बटर से ज्यादा फायदेमंद होती है. मोटापे की बीमारी से ग्रसित लोग भी संतुलित मात्रा में चीज का सेवन कर सकते हैं, जबकि उन्हें अन्य वसायुक्त खाद्य पदार्थों से पूरी तरह परहेज करने की सलाह दी जाती है.
एक अन्य आहार विशेषज्ञ गोपा मोहंती बताती हैं कि चीज़ यानी पनीर दूध के प्रोटीन और वसा से बनता है. बच्चे अगर दूध पीने में आनाकानी करते हैं तो उन्हें पनीर युक्त भोजन भी दिया जा सकता है, जिसके माध्यम से उनके शरीर में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पहुंचाई जा सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी पनीर उत्तम आहार है. चीज या पनीर कुछ समय पहले तक भारत में सिर्फ उच्च वर्ग के भोजन का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन कुछ समय से इसने मध्यम वर्ग के व्यंजनों में भी अपनी पैठ बना ली है. विशेषज्ञ इसका श्रेय चीज के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल गुणों और लजीज स्वाद को देते हैं.
दिल्ली में कुकरी क्लास चलाने वाली प्रतिमा फारूखी बताती हैं ‘‘अधिकतर यूरोपीय व्यंजनों में पनीर का एक खास स्थान होता है. पनीर के पोषक गुणों से वाकिफ लोग इसके सेवन से उतना परहेज नहीं करते, जितना बटर और अन्य तैलीय पदार्थों से करते हैं. पनीर के सेवन के दौरान उन्हें यह तसल्ली रहती है कि उनके भोजन में वसा की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं है.’’
फारूखी बताती हैं कि उन्होंने कई व्यंजनों में पनीर का सम्मिश्रण करके उन्हें आधुनिक रूप दिया और उनका यह प्रयोग लोगों ने काफी पसंद भी किया. अब लोग उनके इन्हीं प्रयोगों को रोजमर्रा के भोजन में उपयोग करके उसके स्वाद को ‘चीज़’ से बेहद लज़ीज़ बना रहे हैं. फारूखी ने बताया कि उन्होंने डोसा और पुलाव जैसे परंपरागत भारतीय भोजन में भी इसके उपयोग संबंधी प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं.
मूल रूप से पश्चिमी देशों के भोजन में शामिल पनीर के मूल उत्पादक स्थान के बारे में कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं. ऐसा माना जाता है कि पनीर के स्वाद से सबसे पहले यूरोप, मध्य एशिया या मध्य पूर्व के देश परिचित हुए, जिसके बाद यह विश्व के कोने कोने में फैल गया.
भारत में पनीर का उपयोग विदेशी व्यंजनों में, खास कर पिज्जा, टोस्ट, पास्ता और सैंडविच में होता है. भारत में पनीर की सब्जी हर घर में चाव से खाई जाती है. मटर पनीर और पालक पनीर हर छोटे बड़े रेस्तरां के मेनू में शामिल होता है और इसके भरवां परांठे और भुजिया को भी खूब पसंद किया जाता है.