पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में मंत्री रहे वरिष्ठ नेता के सी पंत का गुरुवार को यहां निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. पंत 1990 के दशक के आखिर में भाजपा में शामिल हो गये थे.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र कृष्ण चंद्र पंत के परिवार में उनकी पत्नी पूर्व सांसद इला पंत और दो बेटे हैं. रक्षा, वित्त, उर्जा और इस्पात समेत कई मंत्रालयों के प्रभारी रहे पंत पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे और उन्होंने गुरुवार सुबह 8.30 बजे अंतिम सांस ली.
पंत का अंतिम संस्कार बिना किसी राजकीय सम्मान के तत्काल कर दिया गया क्योंकि उनका परिवार इसे पूरी तरह निजी रखना चाहता था. वैसे सामान्य तौर पर किसी पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है.
पंत के निधन की खबर सुनकर रक्षा मंत्री ए के एंटनी उनके घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि पंत की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंत के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक करियर में अलग पहचान के साथ देश और जनता की सेवा की. प्रधानमंत्री ने अपने शोक-संदेश में कहा, ‘इस देश ने एक प्रतिष्ठित हस्ती और एक योग्य प्रशासक को खो दिया है.’
सिंह ने पंत की पत्नी को भेजे शोक-संदेश में कहा, ‘इस दुखद क्षण में मैं आपके और आपके परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। मैं दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूं.’
अपनी मध्यस्थता की भूमिका के लिए विख्यात पंत ने 1970 के दशक में अलग तेलंगाना के लिए हो रहे आंदोलन में वार्ताकार की भूमिका निभाई थी और स्थानीय लोगों को नौकरी में तवज्जो देने में और आंदोलन को समाप्त करने में अहम रहे ‘मुल्की नियम’ समझौते को कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
राजीव गांधी सरकार के मंत्रिमंडल में पंत रक्षा मंत्री थे जिस समय बोफोर्स होवित्जर खरीद मामले में कैग की रिपोर्ट संसद में रखी गयी थी और उन्होंने संकट के उन दिनों में सरकार का बचाव किया था.
हालांकि 1998 में वह भाजपा के करीब आ गये. उनकी पत्नी ने भाजपा के टिकट पर नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता. पंत वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने.
एंटनी ने पंत के निधन पर अपने शोक-संदेश में कहा कि इतिहास के एक अहम मोड़ पर रक्षा मंत्रालय की कमान संभालते हुए पंत के योगदान को शिद्दत से याद किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘पंत ने इतिहास के सबसे अहम समय में से एक मोड़ पर मंत्रालय की कमान संभाली थी जब श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षण बल तैनात थे.’ एंटनी ने देश के फ्लैगशिप विमान वाहक पोत आईएनएस विराट और एमआईजी-29 विमानों समेत अन्य महत्वपूर्ण अधिग्रहणों के साथ सशस्त्र बलों को मजबूती प्रदान करने में भी पंत की भूमिका को याद किया.
वर्ष 1931 में नैनीताल में जन्मे पंत विज्ञान में स्नातकोत्तर थे और कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति के क्षेत्र में उतरे। पंत सबसे पहले 1952 में लोकसभा पहुंचे और बाद में 1967, 1971 और 1989 में भी सांसद चुने गये.
दसवें वित्त आयोग के अध्यक्ष बनाये गये पंत को 1978 में राज्यसभा में भी जाने का मौका मिला और 1979 से 1980 तक वह उच्च सदन के नेता रहे.