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इंग्लैंड के पूर्व कप्तानों ने तेंदुलकर के खतरे के प्रति चेताया

इंग्लैंड के पूर्व कप्तानों माइकल वान, नासिर हुसैन, माइक आथरटन और ग्राहम गूच ने चेताया है कि सचिन तेंदुलकर भले ही अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर के अंतिम पड़ाव पर हों लेकिन जब इंग्लैंड भारत के खिलाफ 21 जलाई से टेस्ट श्रृंखला की शुरूआत करेगा तो वह मेजबान टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा होंगे.

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सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर

इंग्लैंड के पूर्व कप्तानों माइकल वान, नासिर हुसैन, माइक आथरटन और ग्राहम गूच ने चेताया है कि सचिन तेंदुलकर भले ही अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर के अंतिम पड़ाव पर हों लेकिन जब इंग्लैंड भारत के खिलाफ 21 जलाई से टेस्ट श्रृंखला की शुरूआत करेगा तो वह मेजबान टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा होंगे.

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वान ने ‘क्रिकेटर’ मैगजीन से कहा, ‘सचिन 2007 के मुकाबले अब काफी अलग खिलाड़ी है. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी अपने अंदर कुछ बदलाव करके खुद को खेल में बनाये रखते हैं. पिछले दो साल में वह अधिक आक्रामक हो गया है, वह रन बनाने का प्रयास करने के अपने पुराने तरीके पर लौट गया है जबकि कुछ समय के लिए वह अपना विकेट बचाने की कोशिश में खेलता था.’

उन्होंने कहा, ‘क्रिस ट्रेमलेट ने 2007 में उसके खिलाफ अच्छी गेंदबाजी की थी और अब वह पहले से कहीं बेहतर गेंदबाज है. लेकिन सचिन की कोई कमजोरी नहीं है, हालांकि शुरूआत में प्रत्येक बल्लेबाज ऑफ स्टंप पर या इसके आसपास की गेंद पर थोड़ा परेशान होता है. इंग्लैंड उनके खिलाफ आक्रामक रवैया अपना सकता है, शॉर्ट गेंदों से उसकी परीक्षा ले सकता है. मैंने पिछले दो साल में लोगों को ऐसा करते देखा है और इसका उस पर असर नहीं पड़ा है.’

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हुसैन ने कहा कि हाल के वर्षों में तेंदुलकर ने अपनी आक्रामकता फिर हासिल कर ली है. हुसैन ने कहा, ‘तकनीक और मानसिक तौर पर सचिन में वर्षों में कुछ बदलाव आया है लेकिन उसने अपना गेम प्लान बदल दिया है. वह स्ट्रोक खेलने वाला बल्लेबाज बन गया है जिसके पास सभी शॉट हैं और जो खेल से प्यार करता है.’

आथरटन ने याद किया कि तेंदुलकर को जीवनदान देना कितना खतरनाक हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘मैंने ट्रेंटब्रिज में (1996 में) गली में उनका कैच छोड़ा और उसने शतक बना दिया. वह क्रीज पर काफी संयम के साथ रहता है और उसने गलती कराना काफी मुश्किल है. उसमें कोई खामी नहीं है, वह काफी मजबूत पारंपरिक खिलाड़ी है.’

गूच ने भी युवा तेंदुलकर को याद किया. उन्होंने कहा, ‘1990 में किसी ने भी उसे नहीं देखा था. 17 बरस की उम्र में यह साफ था कि उसके पास काफी अच्छा कौशल, अच्छा संतुलन और अच्छी टाइमिंग है. आप देख सकते थे कि उसमें चोटी का खिलाड़ी बनने के सभी लक्षण थे.’

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