2जी मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस व स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली की जांच के सिलसिले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और उनके मातहत काम कर चुके दो अधिकारियों को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
राजा पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कुछ कंपनियों के पक्ष में प्रक्रियाओं में छेड़छाड़ करने का आरोप है.
राजा और दो अधिकारियों को ऐसे समय गिरफ्तार किया गया है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय में मामले की जांच की प्रगति के बारे में अंतिम रिपोर्ट देने वाली है.
राजा के साथ 1973 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और 1984 बैच के भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी आर के चंदोलिया को भी गिरफ्तार किया गया है. इन सभी को आज सुबह सबीआई मुख्यालय बुलाया गया था.
47 वर्षीय राजा के मंत्री पद से इस्तीफा देने के दो महीने बाद गिरफ्तार किया गया है. वह कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी द्रमुक के दलित चेहरे के रूप में चर्चित हैं.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर सरकार को हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात के खुलासे के बाद संसद में हुए हंगामे और सरकार पर बने दबाव के बाद राजा को इस्तीफा देना पड़ा था.
तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि के बीच दोनों दलों के गठबंधन को मजबूत करने के लिये हुई बातचीत के दो दिन बाद यह गिरफ्तारी हुई है.{mospagebreak}
दोनों दलों ने राजा की गिरफ्तार से राजनीतिग गठबंधन पर किसी प्रकार का असर पड़ने की बात से इनकार किया है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘कानून अपना काम कर रहा है और राजनीतिक गठबंधन से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं है.’ बहरहाल, विपक्षी दल सीबीआई के इस कदम से खुश नहीं हैं. भाजपा का कहना है कि, ‘बहुत कम और देर से की गयी कार्रवाई है.’ भाजपा के नेतृत्व वाला राजग घोटाले की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग पर अड़ा है.
द्रमुक की प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कपंनियों के लिये जनसंपर्क काम करने वाली नीरा राडिया और उसके साथ बातचीत करने वाले करूणानिधि के परिजनों को गिरफ्तार करने की मांग की है.
सीबीआई ने अक्तूबर 2009 में दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था तथा मंत्रालय में जांच की थी. लेकिन राजा के इस्तीफे के बाद ही उन पर जांच एजेंसी का फोकस हुआ. इससे पूर्व सीबीआई राजा से तीन बार पूछताछ कर चुकी थी.
अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में 22,000 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है. जांच एजेंसी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग से प्राप्त तथ्यों के आधार पर इतने नुकसान का जिक्र किया है. सीवीसी ने ही यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौंपा है.{mospagebreak}
राजा के राष्ट्रीय राजधानी और तमिलनाडु के पेरांबुर स्थित आवास पर छापे मारे गये. इसके अलावा उनके कई संबंधियों और सहयोगियों के यहां भी तलाशी ली गयी. राजा और उसके सहयोगियों पर स्पेक्ट्रम आवंटन में कुछ दूरसंचार कंपनियों को बेजा लाभ पहुंचाने के लिये अपने पद का दुरूपयोग करने और आवेदन देने की अंतिम तिथि को पीछे खिसकाकर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी करने, लाइसेंस लेने वाले से एक सप्ताह के भीतर शुल्क जमा करने तथा कुछ कंपनियों को लाइसेंस के मामले में लाभ पहुंचाने के इरादे से मनमाने आधार पर पहले-आओ-पहले-पाओ के सिद्धांत को लागू करने का आरोप है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राजा से अक्तूबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों के संगठनों में कथित तौर पर पूंजी लगाने के बारे में पूछताछ की गयी है.
सूत्रों के मुताबिक राजा से कुछ सवाल पूछे गये और उन्हें उनके परिसर से जब्त कंप्यूटरों से प्राप्त दस्तावेज दिखाये गये.
इसके अलावा उनसे कंपनियों के लिये जनसंपर्क करने वाली नीरा राडिया के साथ बातचीत के बारे में भी सवाल पूछे गये. उनसे यह भी पूछा गया कि 2007 में स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आवेदन देने की आखिरी तारीख पीछे क्यों खिसकायी गयी.{mospagebreak}
राजा ने 18 मई 2007 को दूरसंचार विभाग की जिम्मेदारी संभाली और 15वीं लोकसभा के लिये फिर से चुने जाने के बाद वह 31 मई 2009 से 14 नवंबर 2010 तक इस पद पर रहे. स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ी संबंधी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रपट आने के बाद राजा को सरकार से इस्तीफा देना पड़ा. उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के बारे में 10 फरवरी तक स्थिति रिपोर्ट देने को कहा है. उस दिन मामले की अगली सुनवाई होनी है.
सीबीआई ने जांच के सिलसिले में भारती दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पूर्व प्रमुख 1966 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप बैजल और दूरसंचार विभाग में पूर्व सचिव डी एस माथुर से भी पूछताछ की है.