फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने भारत के असैनिक परमाणु कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का पूरा समर्थन किया है.
सारकोजी ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से चलाया जा रहा आतंकवाद पूरी दुनिया में अस्थिरता का एक बड़ा कारण बन रहा है. वे भारत की चार दिन की यात्रा पर बंगलौर पहुंचने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो के वैज्ञानिकों को सम्बोधित कर रहे थे.
सारकोजी ने कहा कि फ्रांस, परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह में भारत के शामिल होने का पूरा समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने के भारत के अधिकार को चुनौती देना अन्यायपूर्ण था.
सारकोजी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि एक फ्रांसीसी कंपनी अरेवा महाराष्ट्र के जैतापुर में परमाणु संयंत्र लगा रही है जिससे दस हजार मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा.
फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि एक अरब से अधिक जनसंख्या वाले देश को संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद से अलग रखने की बात सोची भी नहीं जा सकती. उन्होंने कहा कि भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान तथा अफ्रीकी और अरब देशों के कुछ प्रतिनिधियों को संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में जगह जरूर मिलनी चाहिए.
सारकोजीने मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया. उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका की सराहना की और कहा कि दुनिया को तालिबान के खिलाफ चल रही लड़ाई जरूर जीतनी चाहिए.
सारकोजी ने भारत के प्रधानमंत्री की यह कहकर प्रशंसा की कि मनमोहन सिंह विकास और गरीबी दूर करके शांति को बढ़ावा देना चाहते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि फ्रांस जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या तिगुनी होने की आशा है.
उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों देशों के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्यमियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान और बढ़ेगा. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को शुरू से ही फ्रांस के समर्थन का जिक्र करते हुए इसरो के चेयरमैन राधाकृष्णन ने इस अवसर पर बताया कि इनसेट-3 को अगले साल आरियान राकेट से छोड़ा जायेगा.