लोकतंत्र में नेताओं की ज़िंदगी खुली किताब की तरह होती है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ज़िंदगी पर एक विदेशी लेखक की किताब ने बवाल मचा दिया है. इस किताब का नाम है एल साड़ी रोजो, जिसका हिंदी में मतलब होता है-लाल साड़ी. इस किताब के कुछ पन्नों पर सोनिया गांधी के बारे में कुछ ऐसी बातें लिखी हैं, जिन पर कांग्रेस के नेता गुस्से में लाल हैं.
सोनिया गांधी पर आधारित ये किताब स्पेनिश में है जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है द रेड साड़ी. अब इस रेड साड़ी में स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो ने कुछ ऐसी बातें लिख दी हैं, जिससे कांग्रेस के तमाम नेता गुस्से में लाल हैं. जेवियर मोरो की ये किताब 2008 में ही छप गई थी और अब इसे द रेड साड़ी के नाम से अंग्रेजी में छापकर भारत समेत पूरी दुनिया में बेचने की तैयारी है.{mospagebreak}क्यों है विवाद
कांग्रेस के नेताओं को गुस्सा इस बात पर है कि जेवियर मोरो ने अपनी किताब में सोनिया गांधी के बारे में कुछ आपत्तिजनक बातें लिख दी हैं. मसलन-
- सोनिया इटली में बसना चाहती थीं
- इमरजेंसी लागू करने के फैसले में सोनिया की रज़ामंदी थी
- राजीव गांधी की अंत्येष्टि के समय सोनिया की मौजूदगी पर पंडित को एतराज़ था
कांग्रेस के नेताओं ने इस किताब के ऐसे ही तमाम अंशों पर आपत्ति जताई. कांग्रेस चाहती थी कि जेवियर मोरो किताब से इन हिस्सों को हटा दें और जब मोरो ऐसा करने को राज़ी नहीं हुए, तो कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के वकील बेटे अनुभव सिंघवी ने नवंबर 2009 में जेवियर मोरो को कानूनी नोटिस भेज दिया.
जेवियर मोरो की लाल साड़ी पर कांग्रेस के तेवर तल्ख हैं. कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि इस किताब को फौरन बाज़ार से वापस लिया जाए और मामला बिगड़ता देख जेवियर मोरो सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने सोनिया की बायोग्राफी नहीं, बल्कि एक उपन्यास भर लिखा है.
जेवियर मोरो की ये किताब फिलहाल इतालवी, फ्रेंच, डच, स्पेनिश और लातिन भाषा में प्रकाशित हो चुकी है. जेवियर मोरो का दावा है कि स्पेनिश और लातिन भाषा में उनकी किताब की दो लाख तीस हज़ार प्रतियां बिक चुकी हैं. अब उनकी तैयारी इस किताब को अंग्रेजी में छापने की है और कांग्रेस इसके लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वो उपन्यास के बहाने सोनिया गांधी के जीवन के बारे में मनगढ़ंत बातें बर्दाश्त नहीं कर सकते.{mospagebreak}लाल साड़ी क्यों
लाल साड़ी...जेल में जवाहरलाल नेहरू के हाथों बुनी यही साड़ी सोनिया गांधी ने राजीव गांधी की दुल्हन बनते समय पहनी थी और सोनिया की इसी लाल साड़ी को स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो ने अपनी किताब का शीर्षक बनाकर ऐसी कहानी बुनी, जिस पर कांग्रेस के नेता आग बबूला हैं.
कांग्रेस को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि जेवियर मोरो ने उपन्यास लिखा है या जीवनी. उन्हें एतराज़ इस बात पर है कि द रेड साड़ी में सोनिया और गांधी परिवार के बारे में ऐसी बातें लिखी हैं, जो सच्चाई से कोसों दूर हैं. जेवियर मोरो को भेजे कानूनी नोटिस में किताब के उन हिस्सों का ज़िक्र भी है.
क्या है किताब में
किताब के पेज नंबर 163 पर जेवियर मोरो ने लिखा है- कॉरीडोर में सोनिया ने राजीव से कहा कि उन्होंने सिद्धार्थ शंकर रे और सेक्रेटरी धवन (इंदिरा गांधी के सचिव आर के धवन) की बातचीत सुनी है कि उन लोगों ने देश के सभी अखबारों के दफ्तरों की बिजली काटने और अगले दिन अदालतों को बंद रखने का फैसला किया है.
किताब में ये ब्यौरा देश में इमरजेंसी लागू होने के संदर्भ में है. कांग्रेस के नेताओं को हैरानी इस बात पर है कि सोनिया और राजीव के बीच कॉरीडोर में हुई बातचीत जेवियर मोरो को कैसे पता चली? क्या जेवियर मोरो उस वक्त कॉरीडोर में मौजूद थे?
मोरो की किताब के पेज नंबर 8 पर छपा है..
राजीव गांधी की अंत्येष्टि के समय हिंदू पुजारी ने सोनिया गांधी को वहां मौजूद रहने की अनुमति देने से मना कर दिया.
जेवियर मोरो ने अपनी किताब के पेज नंबर 16 पर लिखा है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया इटली भाग जाना चाहती थीं. किताब के मुताबिक, वो अचानक भारत छोड़ने के बारे में सोचने लगीं..उन्हें लग रहा था कि ये देश उनके बच्चों को निगल जाएगा. सोनिया की मां ने कहा कि इटली आ जाओ और सोनिया गांधी ने कहा- मैं नहीं जानती.{mospagebreak}जेवियर मोरो ने अपनी किताब में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया पर कांग्रेस की कमान संभालने के दबाव का ज़िक्र भी किया है. किताब में उस वक्त की बातचीत कुछ इस ढंग से लिखी है..
- 'सोनिया जी, कांग्रेस कार्यसमिति ने आपको पार्टी अध्यक्ष चुना है..'
उन लोगों ने उन्हें (सोनिया को) अपने पति की मौत के बाद आंसू सूखने तक का मौका नहीं दिया और नेताओं ने उन्हें घेर लिया.
- मैं इसे (अध्यक्ष पद) स्वीकार नहीं कर सकती..
- लेकिन आप अकेली गांधी हैं. भारत में गांधी होना कोई मामूली बात नहीं है.
- मैं जानती हूं कि आपका मतलब क्या है. ये ऐसा नाम है जो बहुत जिम्मेदारी ढोता है, लेकिन साथ ही लानत भी.
कांग्रेस क्यों है फिक्रमंद
राजीव गांधी की हत्या के बाद करीब साढ़े छह साल तक सोनिया गांधी ने खुद को सियासत से दूर रखा...तब तक उनके बच्चों राहुल-प्रियंका की राजनीति वाली ना उम्र थी, ना तजुर्बा. 1997 खत्म होते होते कांग्रेस के नेताओं ने दस जनपथ पर दस्तक देना शुरु कर दिया. सोनिया पहले आनाकानी करती रहीं लेकिन बाद में राजनीति के अखाड़े में कूद पड़ी. सोनिया ने सधी हुई सियासत शुरू कर दी. नतीजा ये निकला कि छह साल बाद ना तो अटल बिहारी वाजपेयी का लच्छेदार भाषण काम आया, ना एनडीए का इंडिया शाइनिंग और फील गुड. सत्ता की चाभी सोनिया की पल्लू में बंध गयी. खुद प्रधानमंत्री ना बनकर उन्होंने वो मास्टरस्ट्रोक खेला जिसके सामने विपक्ष चारो खाने चित्त गिर गया और कांग्रेस पिछले राज कर रही है. अब अपने नेता पर किसी किताब के बहाने भी सवाल उठा तो कांग्रेस के गुस्से का पारा मौसम की गर्मी से भी ज्यादा ऊपर जा पहुंचा.{mospagebreak}कांग्रेस के लिए अपनी नेता के बारे में लिखा हर वो शब्द पचा पाना मुश्किल है, जो सोनिया या नेहरू गांधी परिवार की इमेज पर चोट पहुंचाता हो लेकिन कांग्रेस के इस राय से मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इत्तफाक नहीं रखती. बीजेपी को लगता है कि कांग्रेस अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट कर रही है.
क्या कहना है नेताओं का
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि जेवियर मोरो की किताब को शायद ही ज्यादा पहचान मिल पाती, लेकिन कांग्रेस के जोरदार विरोध ने अचानक सोनिया पर लिखी किताब रेड साड़ी को सुर्खियों में ला दिया. कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया. अब ऐसे में कांग्रेस के धुर विरोधी और संसद में बीजेपी से कदमताल करने वाले जेडीयू नेता शरद यादव ने भी कांग्रेस पर चुटकी ले ली.
जडीयू नेता शरद यादव का कहना था कि जेवियर मोरो की किताब रेड साड़ी का अंग्रेजी संस्करण अभी आने वाला है लेकिन उससे पहले ही किताब पर राजनीति का रंग चढ़ने लगा है.{mospagebreak}क्या सोचते हैं जेवियर मोरो
किताब पर बवाल मचा तो इसकी गूंज मैड्रिड में रहने वाले किताब के लेखक जेवियर मोरो तक सुनायी पड़ी. जवाब में मोरो भी कांग्रेस पर पिल पड़े. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पर मोरो ने आरोप जड़ दिया कि सिंघवी नाहक उन्हें परेशान कर रहे हैं.
मोरो ने सफाई दी कि सोनिया का ना तो उन्होंने अपमान किया है, ना ही उनके बारे में कोई गलत बात कही है. अपनी सफाई में वो यहां तक कह गये कि उन्होंने सोनिया की कोई आधिकारिक जीवनी तो लिखी नहीं है, उन्होंने तो कहानी में कल्पना के भी कुछ छौंक लगाए हैं.
लेकिन यही बात करके शायद मोरो फंसते नजर आ रहे हैं. आखिर किसी की शख्सियत पर फिक्शन लिखते हुए वो उस शख्स का नाम कैसे ले सकते हैं. फिर मोरो ने तो अपनी किताब में बाकायदा सोनिया की पूरी कहानी लिखी है और फिर सोनिया ही नहीं, बल्कि दूसरे किरदारों के नाम भी हूबहू वैसे ही हैं ऐसे में मोरो की किताब को महज एक उपन्यास कैसे कहा जा सकता है.{mospagebreak}कांग्रेस की फिक्र
प्रकाश झा की फिल्म में कैटरीना का किरदार हो या फिर जेवियर मोरो की किताब.. द रेड साड़ी, दोनों में एक बात समान है और वो है सोनिया की इमेज को लेकर कांग्रेस की फिक्र. प्रकाश झा ने फिल्म राजनीति के बारे में जो सफाई दी, वैसी ही सफाई मोरो भी दे रहे हैं. फिल्म में किरदार काल्पनिक है तो मोरो अपनी किताब को जीवनी की बजाय उपन्यास बता रहे हैं. फिल्म को तो कांग्रेस ने सेंसर की कैंची से काट-छांटकर हरी झंडी दे दी, लेकिन कांग्रेस के नेता जेवियर मोरो के उपन्यास को कोई छूट देने के मूड में नहीं हैं. इसकी वजह भी बड़ी साफ है. उन्हें लगता है कि कहीं उपन्यास के सच्चे हिस्सों में कल्पना का घालमेल हुआ, तो आने वाले दिनों में इसका सियासी नुकसान भी हो सकता है. वैसे भी सोनिया गांधी काल्पनिक अफवाहों की भुक्तभोगी हैं और इसकी शुरुआत सियासत में कदम रखने के साथ ही हो गई थी. सोनिया पर विपक्ष का सबसे बड़ा हमला इसी सवाल पर था कि वो विदेशी मूल की हैं.
विपक्ष के कुछ नेताओं ने तो यहां तक आरोप लगा डाला कि सोनिया कभी भी देश छोड़कर जा सकती हैं. ऐसे आरोपों की कोई बुनियाद नहीं थी, फिर भी शोर इतना मचा कि खुद सोनिया को कई बार ये सफाई देनी पड़ी कि वो भारत की बहू हैं.
विदेशी मूल के मुद्दे ने सोनिया गांधी का पीछा तब छोड़ा, जब जनता ने इस मुद्दे को नकार दिया और खुद सोनिया ने प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया. अब जेवियर मोरो की किताब में एक बार फिर वही पुराना राग अलापा जा रहा है कि सोनिया भारत छोड़कर इटली जाना चाहती थीं. अब अगर ये मोरो की कल्पना भर है तो भी ये जोखिम तो है ही कि उपन्यास पढ़ने के बाद जनता के मन में दुविधा पैदा हो जाए कि कहीं विपक्ष के आरोप सच तो नहीं थे.
मोरो की किताब में ऐसी कई बातें हैं, जो सोनिया की साख बिगाड़ सकती हैं. कांग्रेस के नेताओं की दिक्कत ये है कि वो किस-किस को समझाएंगे कि मोरो के किताब में कौन सा हिस्सा सच्चा है और कौन सा काल्पनिक.., लिहाज़ा वो इस किताब पर ही पाबंदी लगवा देना चाहते हैं.