दार्जिलिंग को लेकर त्रिपक्षीय समझौते पर दस्तखत करने के एक दिन बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा कि गोरखालैंड की मूल मांग अब भी बाकी है.
गुरुंग ने दार्जिलिंग में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘गोरखालैंड की मूल मांग अब भी बाकी है. हमने कभी नहीं कहा कि हमने गोरखालैंड की मांग छोड़ दी है.’
देखें देश भर में कहां-कहां से है अलग राज्य की मांग
यह पूछने पर कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल का विभाजन नहीं होगा तो उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह उनका निजी और राजनीतिक विचार है.’
बहरहाल उन्होंने कहा, ‘हम दार्जिलिंग के विकास के लिये काम करेंगे.’ ममता बनर्जी की इस घोषणा पर कि नयी परिषद् गोरखालैंड क्षेत्रीय प्राधिकार का चुनाव छह महीने के अंदर होगा, गुरुंग ने कहा कि यह तभी होगा जब तराई और डोआर के 196 मौजा को शामिल करने की जीजेएम की मांग मान ली जाएगी.
स्वायत्त गोरखालैंड प्रशासन को मिली मंजूरी
बहरहाल सिलीगुड़ी में माकपा नेता और पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि जीटीए ने लंबे समय के लिये विवाद का बीज बो दिया है.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा जीजेएम के इस मांग के खिलाफ है कि तराई और डुअर्स के इलाकों को पहाड़ परिषद् के अधिकार क्षेत्र में शामिल किया जाए.
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखें
उन्होंने यह भी पूछा कि उत्तर बंगाल में प्रस्तावित एक हजार एकड़ सेज के लिये राज्य सरकार भूमि का अधिग्रहण कैसे करेगी.
उन्होंने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस भूमि अधिग्रहण विरोधी मुद्दे पर सत्ता में आई थी और मुझे आश्चर्य है कि विशेष आर्थिक जोन के लिये यह भूमि का अधिग्रहण कैसे करेगी.’