आधुनिकतम संचार उपग्रह जीसैट-5पी को ले जा रहे जीएसएलवी-एफ06 राकेट में एक तकनीकी खराबी आ जाने के कारण प्रक्षेपण के तत्काल बाद यह अभियान विफल हो गया.
गौरतलब है कि इस राकेट में रूस के क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया था और इसके माध्यम से अंतरिक्ष की कक्षा में भारत के आधुनिकतम संचार उपग्रह जीसैट-5पी को तैनात किया जाना था.
इसरो सूत्रों ने कहा, ‘29 घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद यह राकेट सतीश धवन अंतरराष्ट्रीय केन्द्र के लांच पैड से अपराह्न चार बजे रवाना हुआ था लेकिन पहले ही चरण में इस राकेट में तकनीकी गड़बड़ी पैदा हो गयी.’ उन्होंने कहा, ‘गड़बड़ी पहले ही चरण में पैदा हो गयी.’
सूत्रों ने कहा कि इसका विवरण बाद में सार्वजनिक किया जाएगा. इसरो के लिए इस साल में यह दूसरी विफलता है. इससे पहले देश में ही विकसित पहले क्रायोजेनिक इंजन युक्त जीएसएलवी राकेट असफल हो गया था और यह 15 अप्रैल को बंगाल की खाड़ी में गिर पड़ा था.
जीसैट-5पी अपने साथ सी बैंड के 24 और संवर्धित सी बैंड के 12 ट्रांसपोंडरों को ले जा रहा था. इस उपग्रह के कक्षा में स्थापित हो जाने से एक नये संचार युग की शुरूआत हो जानी थी. फिलहाल देश में संचार सुविधाएं भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली के माध्यम से मुहैया करायी जा रही हैं.
इसरो ने अपने सातवें अभियान में भूस्थतिज प्रक्षेपण वाहन (जीएसएलवी) के 20 दिसंबर के प्रक्षेपण को रद्द कर दिया था जब उल्टी गिनती के दौरान रूसी क्रायोजेनिक इंजन में एक मामूली रिसाव का पता चला.
पिछला जीएसएलवी अभियान (जीएसएलवी-डी-3) स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण में गड़बड़ी के चलते असफल हो गया था जिसके चलते ऐसी क्षमता वाले पांच देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल होने का भारत का सपना साकार नहीं हो पाया था.