‘जीसैट-5पी’ संचार उपग्रह के प्रक्षेपण में नाकामी को देश के शीर्ष वैज्ञानिकों और रणनीतिक चिंतकों ने बेहद दुखद करार दिया है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि उड़ान भरने के तुरंत बाद प्रक्षेपण यान में आग की लपटों का उठना इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के लिए एक बड़ा झटका है.
वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल ने उपग्रह प्रक्षेपण में नाकामी पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘यह बेहद दुखद है. मेरा मानना है कि शुरुआती दौर में ही कुछ हुआ. पहले भी हम कई सफल प्रक्षेपण कर चुके हैं लेकिन इस तरह की घटना के बारे में मैंने कभी नहीं सुना.’
जीएसएलवी-एफ06 प्रक्षेपण यान के भी शुरुआती चरण में ही नाकाम हो जाने का जिक्र करते हुए यशपाल ने कहा,‘हम द्रव्य चरण से आगे बढ़े ही नहीं. यह बहुत दुख की बात है कि कहीं गड़बड़ हुई. बहुत सारे आंकड़े उपलब्ध हैं. इसलिए वे इस बात का पता लगाने में कामयाब रहेंगे कि कहां गड़बड़ी हुई.’
इसरो के पूर्व इंजीनियर मदन लाल ने कहा कि प्रक्षेपण यान के पहले चरण में कुछ तकनीकी गड़बड़ियां जान पड़ती हैं . इस बार प्रक्षेपण के लिए भारत रूस के जिस क्रायोजेनिक चरण का इस्तेमाल कर रहा था उसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई .
उन्होंने कहा, ‘क्रायोजेनिक चरण प्रक्षेपण का पहला चरण है. यह क्रायोजेनिक चरण से जुड़ा नहीं लगता है.’ रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) के रीसर्च फेलो अजय लेले ने कहा कि यह इसरो के लिए एक बड़ा झटका है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक जल्द वापसी करेंगे और उपग्रह को फिर से प्रक्षेपित करेंगे.