समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने और उसे वैध माने जाने के मुद्दे पर सुनवाई को मंगलवार को मुल्तवी कर दिया."/> समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने और उसे वैध माने जाने के मुद्दे पर सुनवाई को मंगलवार को मुल्तवी कर दिया."/> समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने और उसे वैध माने जाने के मुद्दे पर सुनवाई को मंगलवार को मुल्तवी कर दिया."/>
उच्चतम न्यायालय ने आपसी रजामंदी वाले वयस्कों के बीच एकांत में स्थापित होने वाले समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने और उसे वैध माने जाने के मुद्दे पर सुनवाई को मंगलवार को मुल्तवी कर दिया.
न्यायमूर्ति जी. एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख बताये बिना ही उसे मुल्तवी कर दिया. पीठ ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी.
शीर्ष अदालत समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक संगठनों की ओर से दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. कई राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक संगठनों ने समलैंगिक व्यवहार को अपराध की श्रेणी से हटाये जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया है.
इससे पहले, सात फरवरी को उच्चतम न्यायालय की पीठ ने इस विवादास्पद मुद्दे पर सशस्त्र बलों को मुकदमे में शामिल करने से इनकार कर दिया था.
विभिन्न क्षेत्रों के लोग और संगठन दिल्ली उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के पक्ष में और विरोध में खुलकर सामने आये हैं.
कई राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक संगठनों ने उच्चतम न्यायालय से इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय देने का अनुरोध किया है.
समलैंगिक यौन संबंधों को वैध बनाने के उच्च न्यायालय के फैसले को भाजपा के वरिष्ठ नेता बी. पी. सिंघल ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा है कि इस तरह के कृत्य अवैध, अनैतिक और भारतीय संस्कृति के मूल्यों के खिलाफ हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, उत्कल क्रिश्चियन काउंसिल, एपोस्टोलिक चर्चेज़ अलायंस, दिल्ली बाल संरक्षण आयोग, तमिलनाड़ु मुस्लिम मुन्न कषगम, ज्योतिषविद् सुरेश कुमार कौशल और योगगुरु बाबा रामदेव ने भी इस फैसले का विरोध किया है.