केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मंजूरी दे दी है.
बहरहाल, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पुलिस ऐसे में भी मामले पर आगे बढ़ेगी जब उसे मिली कानूनी सलाह कहती है कि मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत दर्ज किया जाये. यह धारा उन मामलों में लागू होती है जिनमें राष्ट्र के खिलाफ विद्रोह होता हो.
पुलिस अब इस मामले की कार्रवाई के संभावित तरीकों के बारे में विचार कर रही है. संभावना है कि वह इस मामले में आगे बढ़ने के लिये राजनीतिक मंजूरी मांगे.
कहा जाता है कि दिल्ली पुलिस मामला दर्ज करने से हिचक रही है क्योंकि एक बार मामला दर्ज होने पर प्राथमिकी में नामजद लोगों को गिरफ्तार करना होगा.
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की है और इस संबंध में विस्तृत चर्चा की है. {mospagebreak}इन घटनाक्रमों के अविचलित गिलानी ने कश्मीर में कहा कि उनके खिलाफ पहले से ही 90 मामले दर्ज हैं.
उन्होंने कहा, ‘मेरे खिलाफ पहले से ही 90 प्राथमिकियां दर्ज हैं. यह 91वीं होगी.’दिल्ली पुलिस को कल गृह मंत्रालय की कानूनी राय मिल गयी थी जिसमें उसे अलगाववादी नेता गिलानी और अरुंधती तथा अन्य लोगों के खिलाफ पिछले सप्ताह एक व्याख्यान में ‘नफरत भरे भाषण’ करने के आरोप में मामला दर्ज करने की मंजूरी दी गयी थी.
विधि विभाग ने इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के तहत मामला दर्ज करने का पक्ष लिया है. यह धारा कहती है कि जो कोई लिखित या मौखिक शब्दों या संकेतों अथवा दिखाये देने वाले प्रतिनिधित्वों या अन्य तरीकों से राष्ट्र के प्रति नफरत या अवमानना या विद्रोह करता हो या करने की कोशिश करता हो या भड़काता हो तो उसे पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी जा सकती है. गिलानी के भाषण की भाजपा की ओर से भी तीखी आलोचना हुई थी.