सेना प्रमुख जनरल विक्रम सिंह सेना के सामने शस्त्र प्रणालियों और गोला-बारूद की कमी तथा रक्षा तैयारियों की खामियों को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जानकारी देंगे.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जनरल बिक्रम सिंह 13 लाख जवानों वाले बल के सामने कमियों तथा अगले कुछ सप्ताह में इन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदमों के बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुतिकरण देंगे.
सूत्रों ने कहा कि सेना और भी ऐसे क्षेत्र पहचानने की प्रक्रिया में है जहां इस तरह की खामियां हैं. प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुतिकरण में इसका ब्योरा रखा जाएगा.
सैन्य अभियान महानिदेशक ने सैन्य मुख्यालय से ऐसे सभी उपकरणों और प्लेटफार्म की सूची तैयार करने में सभी सेवाओं से समन्वय करने को कहा.
कमांडरों के हाल ही में हुए अधिवेशन में भी सैन्य प्रमुख ने कहा था कि आधुनिकीकरण को नयी दिशा देकर देश की रक्षा तैयारियों में रही खामियों पर ध्यान दिया जाएगा.
उन्होंने कहा था, ‘रक्षा तैयारी में कमियों पर ध्यान देने की और पूरे जोश के साथ आधुनिकीकरण की जरूरत है.’ जनरल बिक्रम सिंह से पहले सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे एक गोपनीय पत्र में सेनाओं के सामने हथियारों और गोला.बारूद की गंभीर कमी को उजागर किया था.
पूर्व सेना प्रमुख ने अपने खत में कहा था कि टैंक रेजीमेंट के पास तीन से चार दिन का ही गोला-बारूद बचा है. सेना प्रमुख द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने से पहले ही रक्षा मंत्रालय ने धरातल पर संघर्ष कर रहे बलों के सामने आ रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया था.
मंत्रालय के रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पिछले दिनों अपनी वायु रक्षा इकाइयों के लिए उपकरण खरीदने में सेना के अनेक प्रस्तावों को मंजूर किया. इनमें सतह से हवा में हमला करने वाले मिसाइल ‘क्विक रिएक्शन’ के 12 रेजीमेंट का अधिग्रहण शामिल है.
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने रूस के साथ 4,000 करोड़ रुपये की लागत से 25,000 इनवार मिसाइलों को खरीदने के सौदे को भी मंजूरी दे दी है.
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भी आर्थिक मंदी का असर पड़े बिना सभी अभियान संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सेना को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है.