पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने कहा कि 1962 के युद्ध में चीनी सैनिकों की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी नहीं एकत्र कर पाने और तैयारियों की कमी के चलते भारत को हार का सामना करना पड़ा था.
‘डीलिंग विद चाइना’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जनरल सिंह ने यह भी कहा कि भारत उस वक्त सही राजनीतिक आकलन नहीं कर सका था और पड़ोसी देश का इरादा भांपने के लिए उसके साथ बातचीत के लिहाज से कोई कूटनीतिक कदम नहीं उठाया गया.
उन्होंने कहा, ‘यह एक ठोकर थी जिसने जगाया. इससे हमें झटका लगा और पता चला कि तैयार नहीं होने पर हमारे साथ क्या होता है. यह एक तरह का सबक था जिसने हमें 1965 और 1971 की (पाकिस्तान के साथ) जंग का सामना करने की ताकत दी.’
सिंह ने कहा कि जो किसी की कमजोरी की परीक्षा लेना चाहता है, उससे निपटने के लिए सख्त रहने की जरूरत है. उन्होंने भारतीय सेना की तैयारियों की कमी और खुफिया नाकामियों को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया.
सिंह ने कहा, ‘सैनिक बिना संसाधन, बिना तैयारी के गये और उनके पास केवल अच्छा मनोबल और दृढ़संकल्प था कि वे देश के लिए लड़ेंगे. उनके (चीन के) पास बेहतर खुफिया जानकारी थी. उन्हें पता था कि वाकई सैनिक कहां हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा खुफिया तंत्र सैनिकों की एक ओर से दूसरी ओर गतिविधियों को भांपने में विफल रहा और हम वास्तव में घेर लिये गये.’
पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा कि चीनी सैनिक तैयार थे और जानते थे कि उन्हें क्या करना है लेकिन ऐसा भारत के साथ नहीं था. उन्होंने कहा, ‘हमने सही राजनीतिक आकलन नहीं किया. चीन के इरादे जानने के लिए उससे बातचीत के लिहाज से कूटनीतिक कदम नहीं उठाये गये.’
सैनिकों के प्रशिक्षण के संदर्भ में जनरल ने कहा कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपनाई गयी प्रशिक्षण पद्धतियों तक सीमित था और भविष्य को देखते हुए नहीं था.
उन्होंने कहा कि 1962 से पहले सेना किसी जंग के लिए तैयार नहीं थी और अन्य गतिविधियों में अधिक सक्रिय थी. चीन से निपटने के संदर्भ में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि भारत को सीमा के मुद्दों पर कड़ाई और दृढ़ता दिखानी होगी.