पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने ‘असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीकों से’ सत्ता परिवर्तन होने की संभावना से इनकार किया है.
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान में उस गोपनीय दस्तावेज के चलते विवाद उत्पन्न हो गया है, जिसमें कहा गया है कि असैन्य नेतृत्व ने सैन्य तख्तापलट से बचने के लिये कथित तौर पर अमेरिका से मदद मांगी थी. इस मुद्दे पर नेशनल असेंबली में वस्तुत: घिरे गिलानी ने सांसदों ने बताया कि पाकिस्तान के बिखर जाने और राष्ट्रीय सोच से भटकाव होने की अफवाहें बेबुनियाद हैं.
उन्होंने सांसदों को बताया कि वह इस विवाद पर आरोप-प्रत्यारोप से बचें. गिलानी ने कहा, ‘हमने पहले ही कदम उठा लिये हैं. अब हमें क्या करना चाहिये, आपके इस बारे में क्या सुझाव हैं. क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं और आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा. हमें आगे बढ़ना होगा और हम इन मुद्दों का निराकरण कर लेंगे.’
प्रधानमंत्री ने ‘असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीकों’ से तख्तापलट होने की आशंकाओं को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष को वर्ष 2013 में निर्धारित आम चुनाव तक इंतजार करना होगा. इस मामले में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के शामिल होने की बात को खारिज करते हुए गिलानी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार आईएसआई जैसे सैन्य प्रतिष्ठानों के संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध है.
गिलानी ने कहा, ‘आईएसआई हमारा संस्थान है और पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक हम हमारे संस्थानों का संरक्षण कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी को इस दस्तावेज के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिये इस्लामाबाद बुलाया गया है. गिलानी ने कहा, ‘मैं सदन को पहले ही यह आश्वासन दे चुका हूं कि मैंने उन्हें स्पष्टीकरण के लिये बुलाया है और वह देश के नेतृत्व को स्पष्टीकरण देंगे.’
उन्होंने कहा कि हक्कानी के स्पष्टीकरण के बाद अगर कोई मुद्दा बचता है तो विपक्ष उसे उठा सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि इस मुद्दे का निराकरण हो जायेगा. पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यापारी मंसूर इजाज़ ने दावा किया था कि एक मध्यस्थ ने अमेरिका के पूर्व सैन्य प्रमुख एडमिरल माइलक मुलेन को मई में एक दस्तावेज सौंपा था.
व्यापारी के इस दावे के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक और राजनयिक वर्ग में विवाद उत्पन्न हो गया. इजाज़ ने दावा किया था कि पाकिस्तानी सेना द्वारा किसी तख्तापलट को रोकने में अमेरिकी मदद लेने के बदले में जरदारी ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को दुरूस्त करने की पेशकश रखी थी. दो मई को ओसामा बिन लादेन को मार गिराये जाने की घटना के बाद से पाकिस्तानी सेना अमेरिका से नाराज है.