देश के व्यापक आर्थिक हालात में सुधार की अपेक्षाओं के चलते निवेश बैंक गोल्डमैन साक्स ने भारत की रेटिंग को बेहतर करते हुए तथाकथित 'मार्केट वेट' कर दिया है.
इसका मतलब है कि अमेरिका के इस निवेश बैंक के आकलन में भारत में निवेश करना अल्पकाल में लाभदायक रहेगा. गोल्डमैन साक्स ने यह आकलन ऐसे समय जारी किया है जबकि रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने चेतावनी दी है कि अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिर से नरमी आई तो भारत समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अन्य अर्थव्यवस्थों पर इसका गहरा और लंबा असर पड़ सकता है.
गोल्डमैन साक्स ने लगभग एक साल से भारत की रेटिंग 'अंडर वेट' रखी थी जिसे अब उसने बेहतर किया है. बैंक का कहना है कि उसने यह कदम कच्चे तेल की कीमतों में नरमी तथा नीतिगत सुधारों पर सरकार के जोर को देखते हुए उठाया है. इसके एक अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि भारत की रेटिंग को साल भर 'अंडर वेट' रखने के बाद बेहतर किया गया है और इसमें तेल कीमत, आर्थिक चक्र, शेयरों के बाजार मूल्य की स्थिति तथा नीतिगत सुधारों को ध्यान में रखा गया है.
फर्म ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जबकि यूरोप तथा अमेरिका में जरी ऋण संकट के बीच घरेलू स्तर पर आर्थिक नरमी की आशंका गहरा रही है. गोल्डमैन ने हालांकि अपेक्षा जताई है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी जबकि पूर्व में उसने इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2011-12 में वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. बैंक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार तथा भारतीय शेयर बाजार का सहसंबंध अपेक्षाकृत कम है. इसका अर्थ है कि कच्चे तेल की कीमतों का भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों की धरणा पर प्रभाव कम है.
उधर स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने भारत का नाम लिए बिना कहा है कि कहा है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की साख पहले से ज्यादा नकारात्मक हो सकती है और कई देशों की रेटिंग घटायी जा सकती है. क्रेडिट रेटिंग कम किये जाने से आम तौर पर कर्ज महंगा हो जाता है तथा संबंधित देश या कंपनी के लिये स्थिति मुश्किल हो जाती है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘जापान, भारत, मलेशिया, ताइवान तथा न्यूजीलैंड की राजकोषीय क्षमता 2008 के पूर्व स्तर के मुकाबले कमजोर हुई है.’ एजेंसी के अनुसार इन देशों में नरमी का खतरा निरंतर बना हुआ है.
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