भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, यह तो नहीं कहा जा सकता कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में ईमानदारी की कमी है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि उनके कार्यालय में ईमानदारी की कमी है और यह बहुत परेशान करने वाली बात है.
आडवाणी ने यहां दिल्ली आईआईटी के पूर्व छात्रों द्वारा आयोजित ‘लीडरशिप कान्कलेव’ के अपने संबोधन में कहा कि हमारी संसदीय व्यवस्था में जिस उच्चस्थ पद को सही मानदंड स्थापित करने चाहिए वह प्रधानमंत्री का पद है. दुर्भाग्यवश, यहीं पर भारत ने ‘शासन की कमी’ की सबसे परेशान करने वाली बात देखी है.
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि डा मनमोहन सिंह में ईमानदारी की कमी है लेकिन आज इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि जिस पद (ऑफिस) पर आसीन हैं, उसमें ईमानदारी की कमी है.
भाजपा नेता ने कहा कि आप उनसे (सिंह से) 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में पूछिए, तो वह गठबंधन की मजबूरियों पर दोष मढ़ेंगे. इस तरह प्रधानमंत्री ने माना है कि जब यह लूट हो रही थी उनके कार्यालय ने आंखे मूंद रखी थीं.
सिंह पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का उक्त तर्क भी ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसा कह कर वह यह बताना चाहते हैं कि भ्रष्ट आचरण केवल उन मंत्रियों तक सीमित हैं जो कांग्रेस नीत गठबंधन के सहयोगी दलों से संबंधित हैं.
उन्होंने कहा, हालांकि जिस तरह बोफोर्स घोटाले की जांच को बंद किया गया उससे इसमें कांग्रेस की लिप्तता कहीं अधिक दिखती है. उन्होंने कहा कि इस घोटाले को जिस तरह बंद किया गया वह मूल घोटाले से कहीं बड़ा घोटाला है.