मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक के ‘सकारात्मक नतीजे’ से संकेत मिले हैं कि सरकार संयुक्त संसदीय समिति से 2जी स्पेक्ट्रम सहित भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच कराने की विपक्ष की मांग मानने को तैयार हो गई है.
इस मुद्दे पर शीतकालीन सत्र से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद उसमें हिस्सा लेने वाले विपक्ष और सत्ता पक्ष दलों के नेताओं की यह आम राय थी कि सरकार जेपीसी की मांग पर राज़ी लगती है. गतिरोध दूर करने की पहल करने वाले लोकसभा में सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने बैठक के बाद प्रसन्न मुद्रा में कहा, ‘बैठक बहुत अच्छी रही.’
सूत्रों के अनुसार मुखर्जी ने बैठक में कहा कि संसद की कार्यवाही का सुगमता से चल पाना सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कीमत ज्यादा नहीं है. उन्होंने आश्वासन दिया कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से विचार विमर्श करने के बाद दोबारा बैठक बुलाएंगे. यह बैठक 21 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने की पूर्व संध्या पर बुलाई जा सकती है. {mospagebreak}
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मुझे काफी से ज्यादा उम्मीद बंधी है कि सत्र शुरू होने पर सरकार जेपीसी को स्वीकृति दे देगी और संसद की कार्यवाही चलेगी. विपक्ष और सरकार दोनों की बराबर की ख्वाहिश है कि संसद चले.’
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, ‘बैठक से दो बातें उभर का सामने आई. एक यह कि सदन चले और दूसरी यह कि जेपीसी का गठन हो. ये दोनों बातें कैसें हों, यह सरकार को तय करना है.’ सभी पक्षों ने बताया कि बजट सत्र शुरू होने से पहले एक और सर्वदलीय बैठक होगी जिसमें गतिरोध समाप्त करने के तरीके को अंतिम रूप दिया जाएगा.
जेपीसी की मांग पर विपक्ष और सत्ता पक्ष में बने गतिरोध के कारण संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह ठप हो गया था. सूत्रों ने बताया कि बैठक में भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सरकार को जेपीसी की जांच से आने वाले राजनीतिक नतीजों को बड़ा मुद्दा नहीं मानना चाहिये. उन्होंने कहा, सरकार के शासन करने के तरीकों में सामने आयी खामियों के मुद्दे पर जेपीसी की मांग की जा रही है. किसी दल की हार या जीत से बड़ा मुद्दा शासन के तरीके का है. {mospagebreak}
यह पूछे जाने पर कि इस मामले में कांग्रेस ने क्या हार मान ली है, पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, ‘लोकतंत्र में जीत या हार जैसी कोई चीज़ नहीं होती. लोकतंत्र में जिसकी भी आस्था है वह चाहेगा कि संसद सुचारू रूप से चले.
भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, ‘मैं बहुत आशान्वित हूं कि जेपीसी को लेकर कायम गतिरोध टूटेगा.’ उन्होंने कहा कि जेपीसी के गठन की घोषणा संसद के भीतर ही की जा सकती है. संसद से बाहर इस संबंध में ऐलान किए जाने पर विशेषाधिकार हनन का मामला बन सकता है. इसी पार्टी के डी राजा ने कहा, 'अधिकतर दल जेपीसी के पक्ष में हैं, जिसमें कुछ सत्ताधारी पार्टियां भी शामिल हैं. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि सरकार इसे नजरअंदाज कर पाएगी.
सरकार में शामिल एक दल के नेता ने कहा, ‘सरकार अब जेपीसी गठन के काफी मूड में है.’ समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह ने कहा कि बैठक में जेपीसी के गठन को लेकर आम राय थी. माकपा के बासुदेव आचार्य ने कहा, 'सरकार जेपीसी गठन का आश्वासन दे तो इस बारे में लाए जाने वाले प्रस्ताव पर हम चर्चा करने को तैयार हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह ऐसे किसी प्रस्ताव पर मतदान कराने की मांग करने के पक्ष में नहीं हैं. {mospagebreak}
जेपीसी पर बने गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में प्रणव मुखर्जी इससे पहले शीतकालीन सत्र के दौरान दो सर्वदलीय बैठक बुला चुके हैं जिसमें कोई आम राय नहीं बन पाई थी, लेकिन इस बैठक में आम सहमति उभरती नजर आ रही है. सुषमा ने कहा, ‘बैठक बहुत सद्भावनापूर्ण माहौल में हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने उम्मीद जताई कि गतिरोध समाप्त हो और संसद चले. जब दोनों ही पक्ष चाहते हैं कि संसद चले तो लगता है कि सरकार जेपीसी की मांग मानेगी और इस बारे में प्रस्ताव लाएगी.’