रसोई गैस, डीज़ल और केरोसिन के दाम बढ़ाए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आज कहा कि यह आम आदमियों के प्रति कांग्रेस सरकार की पूर्ण संवदेनहीनता को दर्शाता है.
सुषमा ने यहां कहा, ‘सरकार के इस संवेनहीन कदम का सबसे बड़ा शिकार गृहणियां, किसान और गरीबों में भी सबसे गरीब बने हैं.’ उन्होंने कहा कि प्रमुख शासक दल ‘कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ’ के नारे पर सत्ता में आया था. ..और आम आदमी ने यह पाया. अपने शासन में उसने पैट्रोलियम पदार्थों में यह दसवीं बार बढ़ोतरी की है.’
सरकार ने कल रात मिट्टी तेल का दाम दो रुपये और डीजल का तीन रुपये प्रति लीटर तथा घरेलू रसोई गैस का दाम 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया है.
इस मूल्यवृद्धि के खिलाफ भाजपा ने आज देश भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का ऐलान किया है. भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि पार्टी देश भर में जिले से लेकर राजधानी स्तर तक तेल की कीमतों में बढोतरी पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगी.
ईंधन की कीमतें बढ़ाने के लिए वाम दलों ने सरकार की आलोचना की
देश में पेट्रोलियम पदार्थों और गैस की कामतों में इजाफा करने के लिए वाम दलों ने सरकार की आलोचना करते हुए इस वृद्धि को तत्काल वापस लेने की मांग की है. वाम दलों ने इसके विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों का भी आह्वान किया है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), आरएसपी और फारवर्ड ब्लॉक ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘यह आम आदमी के लिए एक और झटका है. सरकार की ओर से यह कदम उस वक्त उठाया गया है, जब लोग चौतरफा महंगाई की मार से जूझ रहे हैं. महंगाई दर नौ फीसदी के पार जा चुकी है.’ इन दलों ने कहा कि डीजल की कीमत बढ़ने से परिवहन के किराये में इजाफा होगा, जिसकी मार आम आदमी पर पड़ेगी. मिट्टी के तेल और एलपीजी के मूल्य में वृद्धि से गरीबों पर बोझ बढ़ेगा.
साझा बयान पर माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा महासचिव ए बी बर्धन, आरएसपी के टी जे चंद्रचूड़न और फारवार्ड ब्लॉक के देबाशीष विश्वास के हस्ताक्षर हैं.
इससे पहले भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा सरकार पर बाजार की ताकतों और औद्योगिक घरोनों के समक्ष घुटने टेकने का आरोप लगाया और कीमतों में वृद्धि तक्काल वापस लेने की मांग की.
राजा ने कहा, ‘तेल क्षेत्र में कोई पारदर्शिता नहीं है. कोई नहीं जानता कि कच्चे तेल की वास्तविक कीमत क्या है. कच्चे तेल को रिफाइन करने और करों के माध्यम से इसकी बढ़ी हुई कीमत बताई जाती है.’
माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने कहा, ‘यह वृद्धि पूरी तरह से अस्वीकार्य है. सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण रखने का अपना वादा पूरा नहीं किया. मूल्यों में कमी करने की बजाय जनता पर बोझ डाल दिया गया है.’