विपक्ष की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) मांग को लेकर संसद के बजट सत्र पर आशंकाओं के बादल छाए रहने के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा है कि सरकार अगर विपक्ष को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन बोलने का मौका देती तो पूरा सत्र बाधित नहीं होता.
आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर इस बारे में लिखा है.
भाजपा नेता के मुताबिक, ‘जब 2011 की शुरूआत हुई थी, तब मैंने कहा था कि गुजरा साल घोटालों और स्कैंडलों का साल रहा. वास्तविकता में, लोकसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, भाजपा के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने मुख्य तौर पर तीन घोटालों, राष्ट्रमंडल, 2 जी और मुंबई के रक्षा भूमि घोटाले को उठाने का फैसला किया था.’
उन्होंने लिखा, ‘अगर शुरूआती दिन ही विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका मिलता, तो उस दिन और बाकी पूरे सत्र तक चले गतिरोध की नौबत ही नहीं आती.’ आडवाणी ने लिखा, ‘विपक्ष की नाराजगी इसलिए ज्यादा रही क्योंकि जब विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बोलना शुरू किया तो पूरे सत्ता पक्ष ने उन्हें बोलने ही नहीं दिया.’ {mospagebreak}
आडवाणी के मुताबिक, इसके बाद सभी विपक्षी दल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जब तक सरकार इन घोटालों की जांच के लिए जेपीसी बनाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक संसद में कोई काम नहीं होगा.
आडवाणी ने लिखा है कि इस गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार और लोकसभा अध्यक्ष ने बहुत सी बैठकें कीं, लेकिन इस मुद्दे को सुलझाया नहीं जा सका. आगामी बजट सत्र के बारे में उन्होंने लिखा, ‘‘अब जब, बजट सत्र शुरू होने वाला है, तब सरकार विपक्ष के साथ लगातार बैठकें कर रही है और सरकार को लग रहा है कि इन परिस्थितियों में जेपीसी बनाना ही उसके लिए आगे का सही कदम होगा.’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की संपादकों के साथ पिछले सप्ताह की एक बैठक के बारे में आडवाणी ने लिखा, ‘पिछले सप्ताह हुई यह बैठक व्यथित करने वाली रही. इसमें गठबंधन की मजबूरियों पर ज्यादा चर्चा की गई और भ्रष्टाचार इसमें कहीं दब कर रह गया.’