नागरिक उड्डयन मंत्री वायलार रवि ने भरोसा जताया है कि राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया अगले छह माह में अपने पैरों पर खड़ी होगी. इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों से कहा है कि वे विमान ईंधन (एटीएफ) पर अधिभार घटाएं, क्योंकि इसकी वजह से एयरलाइन कंपनियों को काफी परेशानी आ रही है.
रवि ने यहां ‘नागरिक उड्डयन शताब्दी के स्थानीय आयोजन’ के मौके पर राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया को फिर से खड़ा करने के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा कि सरकार इस बात का फैसला करेगी कि किस तरह एयरलाइन में अतिरिक्त पूंजी डाली जाए.
उन्होंने कहा, ‘सरकार एयर इंडिया में नई पूंजी डालने का प्रयास करेगी. वह पहले की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक दे चुकी है. मंत्री समूह इस बारे में बैठक में विचार करेगा.’ रवि ने उम्मीद जताई कि अगले छह माह में एयर इंडिया की स्थिति सुधर जाएगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिल रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘अगले छह माह में एयर इंडिया मुनाफे की स्थिति में तो नहीं होगी, पर ऐसी जगह होगी, जहां वह अपने पैरों पर खड़ी रह सकेगी. इसके साथ की नागरिक उड्डयन मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘सभी राज्यों को एटीएफ पर बिक्रीकर घटाना चाहिए. यह एयरलाइन कंपनियों पर बोझ है.’
उन्होंने कहा कि राज्यों को केरल के मार्ग पर चलना चाहिए जिसने विमान ईंधन पर अधिभार घटा दिया है. रवि ने कहा, ‘केरल ने कुछ निश्चित बिंदुओं पर अधिभार नहीं लगाने का फैसला किया है, जिससे एयरलाइन कंपनियों को फायदा हुआ है.’ नागरिक उड्डयन मंत्री ने इस बात पर क्षोभ जताया कि विमान ईंधन पर कोई नया अधिभार नहीं लगाया गया है, इसके बावजूद राज्य अधिभार नहीं घटा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल का बिल आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर रहा है. ‘कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे से भारत जैसे विकासशील देश प्रभावित हुए हैं. इससे आयात बिल काफी ऊंचाई पर पहुंच गया है.’ एयर इंडिया की दशा सुधारने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर रवि ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त, विपणन, वाणिज्यिक परिचालन और अधिग्रहण के कामकाज के लिए चार बाहरी निदेशकों की नियुक्ति की मंजूरी दे दी है.
हालांकि मंत्री ने स्पष्ट किया कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सिर्फ सरकार की ओर देखने के बजाय एयर इंडिया प्रबंधन को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से वित्त जुटाने का भी प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा, ‘किसी भी तरह के कारोबार में उधारी की जरूरत होती है. किसी भी कारोबार में वित्त के लिए बैंकों के पास जाना पड़ता है. यह साधारण अर्थशास्त्र है.’