अनेक घोटालों पर विपक्ष के हमलों से घिरी सरकार ने एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है जिसमें प्रधानमंत्री समेत लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक लोकपाल बनाने की संभावना है.
सूत्रों ने कहा कि सरकार 25 जनवरी से पहले अध्यादेश लाना चाहती है ताकि राष्ट्रपति के राष्ट्र के नाम संदेश में इसका उल्लेख हो सके. सूत्रों ने यह भी कहा कि कैबिनेट की कल होने वाली बैठक में भी इस पर विचार हो सकता है.
सूत्रों ने कहा कि अध्यादेश का स्वरूप लोकपाल विधेयक से तय किया जाएगा जिस पर विधि मंत्रालय विचार विमर्श कर रहा है और यह प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की शिकायत लोकपाल के समक्ष दर्ज करने के प्रावधान रखेगा.
विधेयक के मुताबिक लोकपाल में एक अध्यक्ष होगा जो कि उच्चतम न्यायालय का वर्तमान या पूर्व प्रधान न्यायाधीश या न्यायाधीश होगा. इसमें दो सदस्य भी होंगे जो या तो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश या उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश होंगे.
सरकार का कदम ऐसे समय में आया है जब उस पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अनियमितताओं समेत अनेक बड़े घोटालों को लेकर विपक्ष का हमला जारी है.{mospagebreak}
अध्यादेश लाने के फैसले को पिछले महीने कांग्रेस के महाधिवेशन में सोनिया गांधी के इस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर गत 31 दिसंबर को हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में इस बाबत चर्चा हुई.
बैठक में सोनिया गांधी के भ्रष्टाचार से लड़ने की पांच सूत्री कार्ययोजना के मद्देनजर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा तैयार नोट पर विचार विमर्श किया गया.
लोकपाल विधेयक के मसौदे में इस बात के भी प्रावधान हैं कि मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ शिकायतें लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति के माध्यम से दर्ज की जानी चाहिए.