केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया है कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ औपचारिक तौर पर मामला दर्ज किए जाने के बाद वह उन सभी लोगों के नाम सार्वजनिक कर देगी.
न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने के आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं और एक बार उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उनके नाम सार्वजनिक कर दिए जाएंगे.
पीठ ने सरकार को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने का आरोपी पुणे का व्यापारी हसन अली खान देश छोड़ कर न जा सके.
सुब्रमण्यम ने जब न्यायालय को बताया कि अली भारत में है और सरकार उसके खिलाफ सभी जरूरी कदम उठा रही है, तब पीठ ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना आपका कर्तव्य है कि वह मुकदमा चलाए जाने के लिए उपलब्ध रहे.’
पीठ जाने-माने वकील राम जेठमलानी और अन्य कई पूर्व नौकरशाहों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाओं में न्यायालय से सरकार को विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने संबंधी आदेश दिए जाने की मांग की गई थी. यह राशि लगभग एक खरब डॉलर बताई जा रही है.
जेठमलानी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनिल दीवान ने तर्क दिया कि सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठा रही. उन्होंने इस दौरान एक लेख का भी संदर्भ दिया. इस लेख में कहा गया था कि काले धन से जुड़ी जानकारी मांगने के लिए पांच देशों, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर और हांगकांग के अधिकारियों को आग्रह पत्र भेजे गए हैं.
इस लेख का संदर्भ देते हुए दीवान ने कहा कि इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है.
सॉलिसिटर जनरल ने इस बात को स्वीकारा कि आग्रह पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन दीवान के तर्क के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार ने काले धन के मामले में ‘उल्लेखनीय’ कदम उठाए हैं.
पीठ के समक्ष एक सीलबंद लिफाफा रखते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि इसमें इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है. इस संक्षिप्त सुनवाई के अंत में, पीठ ने पूछा कि क्या अली को उसके समक्ष सुनवाई के दौरान एक पक्ष बनाया जा सकता है.
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई तीन मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.