कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा में महाभियोग की कार्यवाही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को शुरू होगी. अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती ने आज सिफारिश की है कि सेन के इस्तीफे के बावजूद प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए.
न्यायमूर्ति सेन ने गुरुवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को इस्तीफा दिया था जिसके बाद लोकसभा में महाभियोग प्रक्रिया की संभावना को लेकर सवाल उठे थे. समझा जाता है कि एटार्नी जनरल वाहनवती ने सरकार को सुझाव दिया है कि प्रक्रिया शुरू हो चुकी है इसलिए इसे रोकने के बारे में सोचने पर काफी देर हो गयी है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने वाहनवती के सुझाव को विधिमान्य करार दिया है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि वाहनवती का मानना है, ‘न्यायमूर्ति सेन के विरूद्ध लोकसभा में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाभियोग प्रस्ताव पर कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाए.’ निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सेन के विरूद्ध सोमवार को लोकसभा में महाभियोग कार्यवाही शुरू की जानी है. कार्यवाही अपराह्न दो बजे शुरू होगी.
राज्यसभा में 17 और 18 अगस्त को उनके विरूद्ध महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी जिसे सदन ने दो तिहाई मतों से पारित कर दिया था.
सूत्रों के अनुसार सरकार के इस वरिष्ठतम विधिक अधिकारी का कहना है कि अगर लोकसभा में महाभियोग के प्रस्ताव को नहीं लिया गया तो सेन को हटाने के दो साल से किए जा रहे प्रयास ‘व्यर्थ’ हो जाएंगे. अटार्नी जनरल ने संसद के वर्तमान सत्र में ही लोकसभा में इस प्रस्ताव पर आगे की कार्यवाही को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलाने की वकालत करते हुए कहा है कि ऐसा नहीं होने पर राज्यसभा में इस संदर्भ में की गई कार्यवाही बेकार चली जाएगी.
वाहनवती का तर्क है, ‘संसद के एक सत्र में ही दोनों सदनों को महाभियोग प्रस्ताव को पारित करना चाहिए.’ सूत्रों ने बताया कि अटार्नी जनरल ने अपनी इस सिफारिश के लिए संविधान के अनुच्छेद 124 (4) को आधार बनाया है. यह अनुच्छेद उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया के संदर्भ में है.
सेन के इस्तीफे पर राय जानने के लिए राष्ट्रपति ने उसे न्याय विभाग को भेजा था. वाहनवती ने विभाग को अपनी राय से अवगत कराते हुए दोनों सदनों में महाभियोग की कार्यवाही को पूरा करने का सुझाव दिया है.