प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि बिना किसी लैंगिक और सामाजिक भेद के सभी बच्चों की शिक्षा तक पहुंच हो. उन्होंने साथ ही कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू कराने में धन को बाधा नहीं बनने दिया जाएगा.
शिक्षा के अधिकार कानून के 01 अप्रैल से लागू होने के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा ‘सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि बिना किसी लैंगिक और सामाजिक भेद के सभी बच्चों की शिक्षा तक पहुंच हो.’ उन्होंने कहा ‘हमारी सरकार, राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने में धन की कमी आड़े न आए.’
शिक्षा के महत्व के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने बचपन के दिनों को याद किया कि कैसे वह एक साधारण साधनों वाले परिवार में पैदा हुए थे और लंबी दूरी तय करके उन्हें स्कूल जाना पड़ता था. उन्होंने कहा ‘मैं किरोसीन के लैम्प की मंदी रोशनी के नीचे पढ़ता था. मैं आज जो कुछ हूं, वह शिक्षा की वजह से हूं.’ सिंह ने कहा ‘मैं चाहता हूं कि हर भारतीय बच्चा, लड़की और लड़का, शिक्षा की रोशनी से रोशन हो. मैं चाहता हूं कि हर भारतीय एक बेहतर भविष्य का सपना देखे और उस सपने को पूरा करने के लिए काम करे.’
{mospagebreak}प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महान नेता गोपाल कृष्ण गोखले की करीब 100 साल पहले की इच्छा को याद किया जिसमें उन्होंने इम्पीरियल असेम्बली से भारतीय लोगों को शिक्षा का अधिकार दिए जाने की अपील की थी. सिंह ने कहा कि करीब 90 साल बाद शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया गया.
सिंह ने कहा ‘आज, हमारी सरकार आपके सामने हमारे सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का अधिकार देने की प्रतिबद्धता जताने के लिए आयी है.’ उन्होंने साथ ही कहा ‘यह हमारे बच्चों के लिए शिक्षा तथा भारत के भविष्य के प्रति हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.’
भारत को युवाओं का देश बताते हुए सिंह ने कहा ‘हमारी सरकार का यह मानना है कि यदि हम शिक्षा के अधिकार के साथ अपने बच्चों और युवाओं का विकास करते हैं तो एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में भारत का भविष्य सुनिश्चित है.’ उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार को अमली जामा पहनाने के लिए केन्द्र सरकार, राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों तथा जिला और ग्रामीण स्तर पर प्रशासन को एक साझा राष्ट्रीय प्रयासों के हिस्से के तौर पर एकजुट होकर काम करना चाहिए. उन्होंने राज्यों से इस राष्ट्रीय प्रयास में अपनी ‘पूर्ण प्रतिबद्धता’ के साथ शामिल होने को कहा.
{mospagebreak}प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी शैक्षिक प्रयास की सफलता अध्यापकों की क्षमता तथा प्रेरणा पर निर्भर करती है और शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करना इसका कोई अपवाद नहीं है. उन्होंने देशभर के अध्यापकों से इन प्रयासों में भागीदार बनने को भी कहा.
इसी के साथ ही प्रधानमंत्री सिंह ने यह भी कहा कि अध्यापकों के लिए कार्य परिस्थितियों में सुधार करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे गरिमा, अपने कौशल और सृजनात्मक की पूर्ण अभिव्यक्ति के साथ शिक्षण कार्य कर सकें, हम सभी पर एकसाथ मिलकर काम करने की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि माता पिता और अभिभावकों की भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा ‘हम इस कानून को लागू कर रहे हैं और इसमें समाज के हर वंचित तबके, खासतौर से बालिकाओं, दलितों, आदिवासियों तथा अल्पसंख्यकों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए.’