बीजेपी नेता अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक दलों के स्वभाव और चरित्र में गिरावट आई है, जिसका सीधा असर उनकी जवाबदेही पर पड़ रहा है.
जेटली ने कहा कि देश को सामंती मानसिकता से बाहर आना होगा और ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जहां फैसले गुण दोष के आधार पर हों. उन्होंने कहा कि अचानक पिछले दो दशकों में पार्टियों के चरित्र और स्वभाव में गिरावट आई है और इसका सीधा संबंध जवाबदेही के मुद्दे से है.
संगठनात्मक (स्ट्रक्चरड) राजनीतिक दलों की कमी की ओर संकेत करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में पिछले दो दशकों में क्या हुआ? केवल कुछ ही संगठनात्मक पार्टियां हैं. इसके लिए सभी दोषी हैं. वाम दल संगठनात्मक पार्टियां हैं. बीजेपी भी काफी हद तक संगठनात्मक पार्टी है.
जेटली ने कहा कि जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्य ऐसी मिसाल हैं, जहां प्रमुख राजनीतिक दल परिवारों द्वारा संचालित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भारत की प्रधान पार्टी एक परिवार के आसपास जमा भीड़ है. ऐसी पार्टियां हैं जिनका नेतृत्व ऐसे करिश्माई व्यक्ति के पास है जिनके पीछे एक समुदाय का समर्थन है, लेकिन उनकी जवाबदेही उन्हीं तक है.
जेटली ने कहा कि इन राजनीतिक दलों के नेता परिवारों या एक व्यक्ति से नियंत्रित होते हैं. सामान्य तौर पर व्यक्ति करिश्माई होता है. उसे जाति, समूह या समुदाय का समर्थन है. वह पार्टी के भीतर सभी विरोधों का सफाया कर देता है लेकिन उत्तराधिकारी का आधार इसी से तय होता है कि परिवार के भीतर क्या हो रहा है?