पहले से महंगाई के बोझ तले दबी जनता को अब मिट्टी तेल, डीजल और रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिये अपनी जेब और ढीली करनी होगी.
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम और तेल कंपनियों पर बढ़ते वित्तीय दबाव को देखते हुये मिट्टी तेल का दाम दो रुपये, डीजल तीन रुपये लीटर और घरेलू रसोई गैस सिलेंडर का दाम 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया. इस मूल्य वृद्धि के बाद दिल्ली में डीजल का दाम 41 रुपये और रसोई गैस सिलेंडर 395 रुपये हो जायेगा. इसके उपर विभिन्न राज्यों में लागू मूल्यवर्धित कर भी इसमें जुड़ेगा.
सरकार का कहना है कि उसने मूल्य वृद्धि को कम से कम रखा है. आम आदमी पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े इसके लिये कच्चे तेल के आयात पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया जबकि अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर इसे पांच प्रतिशत कम किया गया है. उत्पाद शुल्क में भी कटौती की गई है. डीजल पर मूल उत्पाद शुल्क 4.60 रुपये प्रति लीटर से घटाकर दो रुपये लीटर किया गया है. उत्पाद एवं सीमा शुल्क की कटौती से सरकारी खजाने को इस साल 49,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने पेट्रोलियम पदार्थों की अंडररिकवरी पर हुई अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी दी. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक में तेल कंपनियों की खराब होती माली हालात पर गौर किया गया.
तेल कंपनियों को मौजूदा कीमतों पर चालू वित्त वर्ष में 1,71,140 करोड़ रुपये की कमाई का नुकसान होने का अनुमान है. लेकिन मूल्य वृद्धि और उत्पाद एवं सीमा शुल्क कटौती के बाद उनका यह नुकसान घटकर 1,21,000 करोड़ रुपये रह जायेगा.
रेड्डी ने मौजूदा परिस्थितियों में इस वृद्धि को न्यूनतम और हल्की वृद्धि बताया. मूल्यवृद्धि मध्यरात्रि से लागू हो जायेगी. उन्होंने कहा कि इस वृद्धि से तेल कंपनियों का नुकसान 21,000 करोड़ रुपये कम होगा. मिट्टी तेल और डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई और बढ़ने के सवाल पर रेड्डी ने कहा कि डीजल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति पर थोड़ा बहुत असर पड़ेगा.
रेड्डी ने कहा कि सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि में संतुलन बिठाने का प्रयास किया है. कच्चे तेल पर सीमा शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है जबकि पेट्रोल और डीजल पर इसे 7.5 से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है. उत्पाद शुल्क में भी कटौती की गई है. पेट्रोल के दाम सरकार पहले ही नियंत्रण मुक्त कर चुकी है.
उन्होंने कहा कि शुल्क कटौती के दाम तेल कंपनियों के पेट्रोल के दाम बढ़ाने की जरूरत नहीं रह गई है. मूल्य वृद्धि से पहले डीजल पर तेल कंपनियों को 13.72 रुपये की कम वसूली हो रही थी, ताजा मूल्यवृद्धि और शुल्क कटौती के बावजूद कंपनियों को छह रुपये का नुकसान उठाना होगा. मिट्टी तेल पर 26.66 रुपये प्रति लीटर का नुकसान दो रुपये कम होगा जबकि रसोई गैस सिलेंडर पर 381.14 रुपये का नुकसान 50 रुपये घटकर 330 रुपये रह जायेगा.
रेड्डी ने कहा कि पिछले साल 20 जून को जब डीजल के दाम बढ़ाये गये थे और उसे नियंत्रणमुक्त करने का सिद्धांत निर्णय लिया गया था तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 75 डालर प्रति बैरल पर था, लेकिन इस समय दाम औसतन 130 डालर प्रति बैरल की ऊंचाई पर हैं. ऐसी स्थिति में सरकार के समक्ष कोई और विकल्प नहीं रह गया था.