सरकार ने कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि सीधे नामांकन के जरिए आवंटन से निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ.
सरकार ने कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में नीति पारदर्शी थी और उसमें कुछ गलत नहीं हुआ. कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए अपनाई गई नीति में खामी नहीं थी. कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए इससे पारदर्शी और नीति नहीं हो सकती थी क्योंकि 2004 में प्रतिस्पर्धी बोली की व्यवस्था ही नहीं थी.
कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली व्यवस्था को समय पर लागू करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि बोली के जरिए आवंटन की प्रक्रिया लागू कर दी जाती तो 1.86 लाख करोड़ रुपये का कुछ हिस्सा सरकार के खजाने में आ सकता था.
जायसवाल ने कहा कि उनका मंत्रालय कैग की रिपोर्ट के सभी पहलुओं से सहमत नहीं है. आडिटर ने जो आकलन किया है उसमें कोयला ब्लॉक आवंटन के कुछ ही पहलुओं को आधार बनाया गया है. उन्होंने कहा कि हम कैग की गणना से पूरी तरह सहमत नहीं हैं.
कोयला मंत्री ने कहा कि निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉकों के विकास का काम इसलिए दिया गया, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया देश की बढ़ती जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को आवंटित 57 कोयला ब्लॉकों में से अभी सिर्फ एक से कोयला निकाला जा रहा है.