scorecardresearch
 

काला धन: केंद्र ने शीर्ष न्यायालय को नहीं बताया कोई नाम

उच्चतम न्यायालय द्वारा जोर दिये जाने के बावजूद केंद्र ने किसी भी भारतीय का नाम नहीं बताया जिन्होंने अपना काला धन कर चोरों के पनाहगाह देशों में रखा है.

Advertisement
X

उच्चतम न्यायालय द्वारा जोर दिये जाने के बावजूद केंद्र ने किसी भी भारतीय का नाम नहीं बताया जिन्होंने अपना काला धन कर चोरों के पनाहगाह देशों में रखा है.

Advertisement

प्रख्यात अधिवक्ता राम जेठमलानी और अन्य पूर्व नौकरशाह की ओर से दायर जनहित याचिका पर अतिरिक्त हलफनामें में केंद्र ने विदेश में काला धन रखने वाले किसी भी भारतीय का नाम नहीं लिया. हलफनामे में उन विभन्न कदमों के बारे में बताया गया है, जो कालाधन वापस लाने के लिये उठाया गया है.

जिन उपायों के बारे में जानकारी दी गयी है, उनमें सरकार ने बताया कि यह धन प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के तहत करयोग्य आय होगी. इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा कि उसने उन 10 देशों के साथ कर सूचना आदान-प्रदान समझौते के लिए बातचीत पूरी कर ली है जहां कथित तौर पर कालेधन जमा किए गए हैं. {mospagebreak}

सरकार ने जिन देशों के साथ बातचीत पूरी की है उनमें बहमास, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, आइल आफ मैन, केमैन आइलैंड, ब्रिटिश आइलैंड आफ जरसी, मोनैको, सेंट किट्स एवं नेविस, अर्जेंटीना और मार्शल आइलैंड शामिल हैं. सरकार ने कहा कि इनमें से आठ समझौतों के संबंध में कैबिनेट की मंजूरी दी जा चुकी है.

Advertisement

इससे पहले, सरकार ने दावा किया था उसने ऐसे 26 लोगों की पहचान की है जिन्होंने काला धन विदेशों में जमा कर रखा है. इस बारे में खुलासा लीशटेंस्टाइन बैंक ने किया था. लेकिन ऐसे नामों का खुलासा नहीं किया गया. नामों की घोषणा को लेकर सरकार की अनिच्छा पर न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस.एस. निज्जर की पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि यह केवल कर चोरी का मामला नहीं है बल्कि एक बड़ा अपराध है जिसके माध्यम से देश का पैसा बाहर ले जाया गया. {mospagebreak}

साथ ही इसमें सुरक्षा मुद्दा भी जुड़ा है. वित्त मंत्रालय द्वारा दाखिल एक अतिरिक्त हलफनामे में कहा गया, ‘केन्द्र सरकार ने काला धन बाहर निकालने के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता में नए प्रावधानों का प्रस्ताव किया है जिसके तहत व्यक्तियों के संबंध में भारत से बाहर जमा धन को भी करयोग्य परिसंपत्तियों को भी शामिल किया गया है.’

सरकार ने कहा कि उसने मौजूदा दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन और सूचनाओं के आदान प्रदान का दायरा बढ़ाने के लिए 65 देशों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की है. केंद्र ने स्वीकार किया कि उसने अभी तक कालेधन पर कोई नया अध्ययन नहीं किया क्योंकि इस तरह के धन का कोई अनुमान संदिग्ध होता है और इसकी प्रकृति ‘गैर रिकार्डेड, जटिल एवं कई परतों वाली’ होती है. {mospagebreak}

Advertisement

सरकार ने कहा, ‘हालांकि, हाल ही में अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू घटनाक्रमों को देखते हुए वित्त मंत्रालय द्वारा एक अध्ययन कराने का प्रस्ताव किया गया है जिसके जरिए देश में और देश से बाहर बेहिसाब आय एवं धन का आकलन किया जाएगा और यह देखने का प्रयास किया जाएगा कि इस धन की प्रकृति क्या है एवं और देश की सुरक्षा पर इसके क्या प्रभाव पड़ सकते हैं.’

सरकार ने कहा कि विदेश में बैंकों के गोपनीय खातों से निपटने के लिए सख्त उपायों की जरूरत है जिसे देखते हुए केन्द्रय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर अधिकारियों को मामलों का विशेष वर्गीकरण करने को कहा है और आकलन या पुन: आकलन पूरा करने के बाद मुकदमे की कार्रवाई तत्काल शुरू की जा सकती है.

Advertisement
Advertisement