लोक लेखा समिति (पीएसी) अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने दावा किया कि चारों ओर ऐसी धारणा बन रही है कि सरकार बड़े राजनेताओं को बचाने के लिए रिश्वत से संबंधित मामलों में कार्यवाही ‘बाधित’ कर रही है.
जोशी ने एक साक्षात्कार में दावा किया कि चारों ओर ऐसी धारणा बन रही है कि यह सरकार कार्यवाही बाधित करने का प्रयास कर रही है, चाहे यह पीएसी में हो, अदालत या कोई अन्य एजेंसी. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस मामले में बड़े राजनेताओं का नाम है, उसे बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने विधि मंत्रालय की उस टिप्पणी पर भी आपत्ति जतायी जिसमें कैग के कार्यक्षेत्र को लेकर सवाल किए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक मुझे मालूम है, इस नोट में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय भी सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं कर सकता. लेकिन अदालत यह सवाल कर सकती है कि क्या संविधान का कोई उल्लंघन हुआ है. इसी प्रकार सरकारी बही-खातों का अंकेक्षण करना कैग का संवैधानिक कर्तव्य है.’’
जोशी ने कहा, ‘‘कैग यह देखना चाहता है कि जो भी वायदे किए गए, वे पूरे हुए यहां नहीं.’’ उन्होंने कहा कि कैग का काम सरकार की कमियों को उजागर करना है.
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान के कैग के अनुमान के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा, ‘‘कई ऐसे मामले हैं जहां कैग को नुकसान का पता चलता है. तब कैग को बताने की जरूरत होती है कि यह नुकसान कैसे हुआ और इसके पीछे कौन है.’’
कैग की रिपोर्ट के बारे में सरकार की विभिन्न राय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस सरकार को वित्त मंत्री की संतुलित राय पर ध्यान देना चाहिए.