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मुझे सच्‍चाई की कीमत चुकानी पड़ रही है: रामदेव

आचार्य बालकृष्ण के बचाव में आते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि उनके सहयोगी को सरकार जानबूझकर फंसा रही है और उन्हें सच्‍चाई तथा राष्ट्रहित का साथ देने की कीमत चुकानी पड़ रही है.

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बाबा रामदेव
बाबा रामदेव

आचार्य बालकृष्ण के बचाव में आते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि उनके सहयोगी को सरकार जानबूझकर फंसा रही है और उन्हें सच्‍चाई तथा राष्ट्रहित का साथ देने की कीमत चुकानी पड़ रही है.

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सीबीआई द्वारा बालकृष्ण का पोसपोर्ट रद्द करने के लिए विदेश मंत्रालय से सम्पर्क करने और उनके खिलाफ ‘लुक-आउट’ नोटिस जारी करने पर योगगुरु ने अपने सहयोगी के बचाव में यह टिप्पणी तब की है. जांच एजेंसी का कहना है कि पासपोर्ट फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्राप्त किया गया.

4 जून को रामलीला मैदान पर अपने समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई के मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के सिलसिले में राष्ट्रीय राजधानी आये रामदेव ने कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘चार जून से पहले सरकार के लिये मैं देशभक्त था, लेकिन चार जून की पुलिस कार्रवाई के बाद मैं सरकार को अशांति, अराजकता और साम्प्रदायिकता फैलाने वाला लगने लगा.’

उन्होंने कथित फर्जी पासपोर्ट मामले में बालकृष्ण पर सीबीआई द्वारा शिकंजा कसने के संदर्भ में कहा, ‘आचार्य बालकृष्ण कालेधन के खिलाफ आंदोलन में मेरे साथ थे. उन्हें सच बोलने और देशहित का मुद्दा उठाने की कीमत चुकानी पड़ रही है. हमने नहीं सोचा था कि आजाद भारत में सरकार राष्ट्रहित के मुद्दे उठाने वालों के खिलाफ इस तरह के हथकंडे अपनायेगी.’

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सीबीआई ने बालकृष्ण के खिलाफ धारा 420 (ठगी), धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के उल्लंघन के तहत मामला दर्ज करने के बाद उनके खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी किया है.

रामदेव ने कहा, ‘बालकृष्ण ने योग्यता हासिल करने के लिये उपाधि ली थी, ऐसा उन्होंने किसी सरकारी नौकरी के लिये नहीं किया था. डिग्री देना कॉलेज और विश्वविद्यालय का काम होता है. ऐसे में अगर डिग्री के फर्जी होने के आरोप लग रहे हैं तो विश्वविद्यालय से सवाल किये जाने चाहिये.’

सीबीआई ने बालकृष्ण की जिस डिग्री के फर्जी होने का दावा किया है, वह संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की है. रामदेव ने कहा, ‘डिग्री से जुड़े दस्तावेजों में अगर गलती है तो इसमें बालकृष्ण की नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में हेरफेर किया गया है और इसके पीछे सरकार की साजिश है. अगर यह डिग्री फर्जी होती तो बालकृष्ण पासपोर्ट हासिल करने के लिये इसका इस्तेमाल क्यों करते, जबकि बिना डिग्री के भी आम नागरिक पासपोर्ट बनवा सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के शिखर पर बैठे व्यक्तियों में शामिल पदधारियों पर भी इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं.

बहरहाल, उन्होंने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि क्या वह सरकार के किसी मंत्री पर फर्जी डिग्री हासिल करने का आरोप लगा रहे हैं.

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