अरसे से अटका पड़ा लोकपाल बिल अब हक़ीक़त बनने की राह पर है. सरकार आज लोकसभा में लोकपाल बिल पेश करेगी. हालांकि कारगर लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ने वाले अन्ना हज़ारे और उनकी टीम के लिए ये ज़ोर का झटका है, क्योंकि प्रधानमंत्री को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है.
अन्ना हज़ारे के अनशन और सिविल सोसायटी से माथापच्ची के बाद जो निचोड़ निकला, उससे साफ हो गया कि लोकपाल अब वैसा ही होगा, जैसा संसद चाहेगी.
अब ज़रा जान लीजिए कि लोकपाल बिल में है क्या...
लोकपाल बिल के मुताबिक, अगर कोई लोकसेवक अपनी संपत्ति छिपाता है या अपनी संपत्ति के बारे में ग़लत सूचना देता है, तो लोकपाल मानेगा कि लोकसेवक ने भ्रष्ट तरीके से संपत्ति कमाई है.
- प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और संसद में सांसदों का काम लोकपाल के दायरे से बाहर रहेगा.
- लोकपाल भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लोकसेवकों के तबादले या निलंबन की सिफारिश कर सकता है.
- लोकपाल कुछ मामलों में सिविल कोर्ट की जिम्मेदारी निभाएगा.
- अगर कोई व्यक्ति लोकपाल में झूठी शिकायत दर्ज़ कराता है, तो लोकपाल उसे 2 से 5 साल तक क़ैद और न्यूनतम 25 हज़ार रुपये जुर्माना की सज़ा सुना सकता है.
सरकार के इस लोकपाल बिल से अन्ना और उनकी टीम नाखुश है. उन्होंने सांसदों को पत्र लिखकर संसद में इस लोकपाल बिल का विरोध करने की अपील भी की है, हालांकि टीम अन्ना की अपील का सांसदों पर कोई असर नहीं दिख रहा.
लोकपाल बिल के फौरन पास होने के आसार नहीं हैं, क्योंकि लोकसभा में पेश होते ही इस बिल को संसद की स्थायी समिति के पास चर्चा के लिए भेज दिया जाएगा. कई पार्टियां प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने पर ज़ोर दे रही हैं, जिससे साफ है कि लोकपाल बिल पर जोड़-तोड़ की गुंजाइश अभी बाकी है.
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