भारतीय वायुसेना ने दो मोर्चों पर युद्ध मुकाबले की स्थिति से निपटने में अपने को तैयार करने के उद्देश्य से अपने स्वीकृत लड़ाकू विमानों के बेड़ों की संख्या 39.5 से बढ़ाकर 45 करने के लिए रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है.
वायुसेना के सूत्रों ने कहा, ‘हमने अपने लड़ाकू विमानों के स्वीकृत बेड़े की संख्या 39.5 से बढ़ाकर 45 करने का प्रस्ताव किया है जिस पर रक्षा मंत्रालय विचार कर रहा है.’ वायुसेना के वर्तमान बेड़ों की संख्या 33 है. एक बेड़े में करीब 18 से 20 विमान होते हैं. वास्तवित नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की सेना की ओर से तैनाती बढ़ने के मद्देनजर वायुसेना पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है तथा उसकी योजना वहां वर्ष 2015 तक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के चार बेड़े तैनात करने की है.
यह पूछे जाने पर कि वायुसेना ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कब तक की समयसीमा निर्धारित की है, सूत्रों ने कहा कि भविष्य का अधिग्रहण वायुसेना को सरकार की ओर से मिलने वाली स्वीकृति पर निर्भर करेगा. वायुसेना के आधुनिकीकरण योजना के तहत पश्चिमी मोर्चे पर वायुसेना अड्डों को आधुनिक आधारभूत संरचना और नये लड़ाकू विमानों से लैस किया जा रहा है. {mospagebreak}
वायुसेना की इस दशक के अंत तक 350 लड़ाकू विमान अपने बेड़े में शामिल करने की योजना है. इनमें 126 बहुद्देश्य लड़ाकू विमान (एम.एमआरसीए), 160 नये सुखोई एमकेआई और 140 स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) शामिल हैं. नये सुखोई 30 विमानों के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं तथा 126 एमएमआरसीए के लिए समझौता इस वर्ष सितम्बर के अंत में होने की संभावना है.
एमएमआरसीए समझौते के लिए रूस का मिग-35, अमेरिका का एफ-16 और एफए-18, स्वीडन का ग्रिपन, यूरोपीय यूरोफाइटर और फ्रांस का राफेल दौड़ में हैं. इस पर करीब 11 अरब डालर का खर्च होने का अनुमान है. वायुसेना इसके अलावा रूसी मिग विमान 21, 23 और 27 श्रृंखला के विमानों को चरणबद्ध तरीके से अपने बेड़े से हटा रही है. इसमें सबसे पुराने मिग 21 टाइप 77 के इस वर्ष के अंत तक हटने की संभावना है.