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भारी दबाव में आई सरकार जेपीसी पर हो सकती है राजी

विपक्ष के जबर्दस्त दबाव से घिरी सरकार 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग पर राज़ी हो सकती है. सत्तारूढ़ संप्रग के कुछ घटक दलों ने सोमवार को ऐसा संकेत दिया.

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विपक्ष के जबर्दस्त दबाव से घिरी सरकार 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग पर राज़ी हो सकती है. सत्तारूढ़ संप्रग के कुछ घटक दलों ने सोमवार को ऐसा संकेत दिया.

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इस मांग को लेकर नौ नवंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन से संसद की कार्यवाही ठप है. गतिरोध दूर करने के लिए सरकार ने सोमवार को विपक्षी दलों से फिर बातचीत की लेकिन उसने जेपीसी से कम पर तैयार होने से साफ इनकार कर दिया.

लोकसभा में सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गतिरोध तोड़ने के प्रयास में सभी दलों के नेताओं को बैठक में बुलाया था. बैठक में उन्होंने सरकार की ओर से लोक लेखा समिति (पीएसी) के साथ बहु आयामी जांच की पेशकश की जिसे विपक्ष ने ठुकरा दिया.

बैठक में उपस्थित संप्रग के घटक दल तृणमूल कांग्रेस और यहां तक कि द्रमुक को जिसके नेता ए राजा को इस घोटाले के चलते इस्तीफा देना पड़ा, जेपीसी से गुरेज़ नहीं है. इन दलों का कहना है कि संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी है, भले ही इसके लिए विपक्ष की मांग के आगे क्यों न न झुकना पड़े. {mospagebreak}

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इस बैठक में मतभेद केवल इस बात पर रहा कि जेपीसी के तहत कहां तक की अवधि को शामिल किया जाए. द्रमुक का विचार है कि जेपीसी 1998 से मामले की जांच करे जब दूरसंचार निविदाएं जारी हुई थीं लेकिन अन्नाद्रमुक 1994 के समय को भी इसके दायरे में लाना चाहती है जब इस क्षेत्र का निजीकरण किया गया था.

घंटे भर चली इस बैठक में गतिरोध टूट नहीं पाया और मुखर्जी ने विपक्षी दलों से कहा कि प्रधानमंत्री के विचार विमर्श करने के बाद वे उनसे दोबारा मिलेंगे. बैठक के बाद सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने संकेत दिया कि जेपीसी की विपक्ष की मांग पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जेपीसी की मांग को हमेशा ही काफी ‘अनिच्छा’ से सरकारें मानती हैं और इस मांग के आगे झुकने का मतलब सरकार की हार नहीं होगी.

सूत्रों ने कहा, ‘हमें यह देखना है कि संसद चले.’ मुखर्जी ने भी बैठक में इसका संकेत देते हुए कहा, ‘सरकार जेपीसी जांच की मांग से कायल नहीं है. अगर वह सहमत हुई भी तो केवल इसलिए कि यह विपक्ष की मांग है.’ इस पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि पूर्व में जिस भी सरकार ने जेपीसी जांच को स्वीकार किया है तो केवल विपक्ष की मांग के दबाव में ही किया है. {mospagebreak}

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उन्होंने मुखर्जी से कहा, ‘क्यों नहीं आप हठ छोड़ कर हमारी (विपक्ष) मांग को मान लेते.’ मुखर्जी ने इस पर हंसते हुए कहा, ‘सुषमा चूंकि वकील हैं इसलिए उन्होंने मेरी बात पकड़ ली.’ इससे पहले बैठक समाप्त होने पर सुषमा ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने पीएसी को और मजबूत बनाते हुए इसके साथ बहु आयामी जांच की पेशकश की जिस पर ‘हमने कहा कि जेपीसी से कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं.’

जद यू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, ‘हमने सरकार के समक्ष जेपीसी की अपनी मांग रखी. इसके बाद प्रणव मुखर्जी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से बात करेंगे और बैठक में रखे गए सभी दलों के विचारों से उन्हें अवगत करायेंगे.’ भाकपा के वरिष्ठ नेता डी राजा ने कहा कि पिछली बैठक की तुलना में इस बार सरकार का रुख थोड़ा लचीला था.

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