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सरकार ने आरटीआई याचिकाओं में शब्दों की सीमा तय की

सरकार ने सूचना के अधिकार  कानून के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए दायर की जाने वाली याचिकाओं में शब्दों की सीमा 500 शब्द निर्धारित कर दी है.

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संसद
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सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए दायर की जाने वाली याचिकाओं में शब्दों की सीमा 500 शब्द निर्धारित कर दी है.

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इसके साथ ही कानून के तहत केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर करने के लिए नया प्रारूप भी तय किया है.

31 जुलाई को अधिसूचित किये गये नये नियम के तहत सरकार ने अपील करने वालों या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के लिए यह आवश्यक बना दिया है कि वे स्वयं या वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीआईसी के समक्ष उपस्थित हों.

नये नियम के तहत, आवेदन के साथ 10 रुपये का शुल्क जमा करना होगा और आवेदन के शब्दों की सीमा पांच सौ शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए, इसमें मुख्य जन संपर्क अधिकारी और याचिकाकर्ता का पता लिखा होना चाहिए.

गौरतलब है कि इससे पूर्व सूचना मांगने से संबंधित आवेदन में शब्दों की कोई सीमा नहीं थी.

नियम में हालांकि कहा गया है कि इस आधार पर आवेदन को रद्द नहीं किया जा सकता है कि इसमें 500 से अधिक शब्द हैं.

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कार्मिक एवं प्रशिक्षण एवं लोक शिकायत मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के तहत याचिकाकर्ता को 50 रुपये से अधिक की सूचना प्रदान करने पर अतिरिक्त डाक शुल्क देना होगा. हालांकि गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों को कोई शुल्क नहीं देना होगा. इस संबंध में उन्हें उपयुक्त सरकार की ओर से जारी प्रमाणपत्र की प्रति प्रदान करनी होगी.

पीड़ित व्यक्ति की ओर से दायर अपील के साथ मुख्य जन संपर्क अधिकारी के समक्ष पेश किये गए आवेदन और प्राप्त जवाब की प्रति भी संलग्न करनी होगी. अगर प्रथम अपीनिय प्राधिकार को कोई अपील की गई है या कोई आदेश प्राप्त हुआ है तब इन्हें भी संलग्न करना होगा.

नियम में कहा गया है कि अगर ये सभी दस्तावेज संलग्न नहीं होंगे तब याचिककर्ता को अपील वापस लौटायी जा सकती है.

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