करीब 25 साल बाद सरकार एक बार फिर से भारत में काले धन और इसमें तेजी से हो रही बढ़ोतरी की वजह का पता लगाने का फैसला किया है. इस बारे में सरकार ने राष्ट्रीय संस्थानों से प्रस्ताव मांगे हैं.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने चार संस्थानों से कहा है कि वे देश में काले धन के आंकड़े तथा उनकी प्रकृति का पता लगाने के बारे में अपने सुझाव दें.
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), नेशनल काउंसिल फार एप्लाइड इकनामिक रिसर्च (एनसीएईआर) और राष्ट्रीय वित्त प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम) को इस माह के अंत तक अपने प्रस्ताव सौंपने को कहा है.
अधिकारी ने बताया कि इस तरह के अध्ययन में एक साल का समय लगेगा और इसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), प्रवर्तन निदेशालय और आर्थिक मामलों के विभाग और भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के अधिकारियांे की भी मदद ली जाएगी.
साथ ही गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कैबिनेट सचिवालय और सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अधिकारियों का भी सहयोग लिया जाएगा. संसद की वित्त पर एक स्थायी समिति ने पहले भी इस तरह का अध्ययन कराने का प्रस्ताव किया था.