सरकार नौकरशाही में भ्रष्टाचार रोकने के लिए जल्दी दिशानिर्देश जारी कर सकती है जिनमें दोषी अधिकारियों को दंडित करने में लिये गये समय को कम करना भी शामिल होगा.
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से बने माहौल के बीच विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय एक समिति ने सुझाव दिया है कि सभी बड़े अपराधों की जांच 12 महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया को तेज करने के कदम सुझाने और जांच के लिए समिति का गठन किया गया था.
समिति ने सुझाव दिया है कि दंड में भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गये अधिकारियों को जांच पूरी होने के तत्काल बाद बर्खास्त करने का प्रावधान भी शामिल होना चाहिए. मामूली अपराधों के लिए जांच की अवधि दो महीने होनी चाहिए.
एक अधिकारी ने कहा, ‘हम समिति के सुझावों पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही दिशानिर्देश जारी करने की योजना बना रहे हैं.’ समिति की अन्य सिफारिशों में सेवारत और सेवामुक्त दोनों तरह के सरकारी अधिकारियों में से जांच अधिकारियों का पैनल बनाना और जांच करने के लिए पारिश्रमिक में इजाफा करना भी शामिल है.
समिति ने राज्यों में वैधानिक दर्जे वाले सतर्कता आयोग गठित करने, बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जांचों में प्ली.बार्गेनिंग तथा अनिवार्य सेवानिवृत्ति से लेकर पेंशन व ग्रेचुइटी में कटौती तक सजा देने के सुझाव भी दिये हैं.
विशेषज्ञ समिति का एक प्रमुख सुझाव यह भी है कि सक्षम अदालत में मुकदमा शुरू होने के बाद भ्रष्ट आचरण के आरोपों में अधिकारी को सेवा से बख्रास्त करने संबंधी प्रावधान के लिहाज से संविधान के अनुच्छेद 311 में संशोधन किया जा सकता है.