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लोकायुक्‍त मामला: गुजरात सरकार की याचिका खारिज, मोदी सरकार को झटका

गुजरात लोकायुक्त नियुक्ति मामले पर नरेंद्र मोदी सरकार को एक बड़ा झटका लगा है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

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गुजरात की मोदी सरकार को तगड़ा झटका लगा है. गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार की अर्जी को दरकिनार करते हुए कहा है कि गुजरात में लोकायुक्‍त की नियुक्ति सही है. नरेंद्र मोदी की सरकार लोकायुक्‍त नियुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

लोकायुक्‍त की नियुक्ति मामले में राज्‍य की विधानसभा में इस पर हंगामा हो चुका है और बीजेपी ने कई बार लोकसभा में भी यह मामला उठाया था.

पिछले साल अगस्‍त में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में गुजरात की राज्यपाल कमला ने राज्य सरकार को दरकिनार कर अवकाशप्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरए मेहता को राज्य का लोकायुक्त नियुक्त कर दिया था जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने राज्यपाल के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. राज्य सरकार साढ़े सात साल से लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर हीलाहवाली कर रही थी.

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लोकायुक्‍त की नियुक्ति के बाद राज्यपाल ने कहा था कि राज्य में चल रही चीजों के प्रति वह मूकदर्शक नहीं रह सकतीं. राज्य सरकार ने यह कहते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति को चुनौती दी थी कि यह फैसला असंवैधानिक एवं एकतरफा है. लोकायुक्‍त मेहता गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं.

लोकायुक्‍त की नियुक्ति के बाद राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि हालांकि यह सच है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री की अगुवाई वाली मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करता है, लेकिन ऐसी स्थिति हो सकती है जब राज्यपाल राज्य में हो रही चीजों के प्रति मूकदर्शक नहीं रह सकता और वह अपने विवेक का उपयोग करने को बाध्य हो जाता है.

बयान में कहा गया था कि गुजरात लोकायुक्त अधिनियम, 1986 के अनुच्छेद 3 (1) के प्रावधानों के अनुसार डॉ. कमला ने 25 अगस्त को अपने अधिकार का उपयोग किया और पारदर्शिता एवं सुशासन के संपूर्ण हित में सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर ए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश जारी किया.

पिछले सात साल से लोकायुक्त नियुक्त नहीं करने के लिए मोदी सरकार को दोषी ठहराते हुए राज्यपाल ने कहा कि कई बार याद दिलाने के बावजूद सरकार किसी न किसी कारण से इस मामले में विलंब कर रही थी. राज्य के कनिष्ठ कानून मंत्री प्रदीपसिंह जड़ेजा ने इस फैसले को असंवैधानिक और एकतरफा करार देते हुए उसे चुनौती दी और गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

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राज्य सरकार की दलील थी कि संविधान के अनुच्छेद 154 के तहत मंत्रिपरिषद के परामर्श, सलाह पर राज्यपाल कदम उठाने को बाध्य है. हालांकि कोर्ट के फैसले से यह साफ हो गया है कि गुजरात में लोकायुक्‍त की नियुक्ति पूर्णत: वैधानिक है.

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