निचली अदालतों के न्यायिक अधिकारियों की तनख्वाह के संबंध में सौंपी गई पद्मनाभन समिति की अनुशंसाओं को लागू करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को नजरअंदाज करने पर गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आज कड़ी फटकार लगाई.
न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति अकील कुरैशी की खंडपीठ ने पद्मनाभन समिति की अनुशंसाओं को लागू करने में देरी पर राज्य सरकार के वकील को बेमतलब कारण गिनाना बंद करने का निर्देश दिया. उच्चतम न्यायालय ने मई में पद्मनाभन समिति की अनुशंसाओं को मंजूरी दी थी.
खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा है कि वह बताए कि अनुशंसाओं को किस तरह लागू किया जाएगा. यह बताने के लिए सरकार को अल्टीमेटम भी दिया गया है.
अदालत ने यह भी कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो राज्य के मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा और समिति की अनुशंसाए लागू नहीं कर पाने के बारे में पूछा जाएगा.
राज्य सरकार द्वारा पद्मनाभन समिति की अनुशंसाएं लागू नहीं करने पर गुजरात लेबर कोर्ट ज्यूडिशियल आफीसर्स एसोसिएशन की याचिका पर यह फैसला सुनाया गया है.